Rajasthan Crisis: बीजेपी MLA ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को नए सिरे से HC में दी चुनौती, आज सुनवाई

Rajasthan Crisis - बीजेपी MLA ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को नए सिरे से HC में दी चुनौती, आज सुनवाई
| Updated on: 29-Jul-2020 09:23 AM IST
जयपुर। राजस्थान में चल रहा सियासी घटनाक्रम समाप्‍त होने का नाम नहीं ले रहा है। अब बसपा विधायकों (BSP MLAs) के कांग्रेस में विलय को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने दो याचिकाओं के जरिए विलय को असंवैधानिक बताते हुए स्पीकर के आदेश को रद्द करने की मांग की है। भाजपा विधायक की याचिका पर बुधवार को जस्टिस महेंद्र गोयल की पीठ सुनवाई करेगी।

बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को अब बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने नए सिरे से राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनकी पहली याचिका को सोमवार को जस्टिस महेंद्र गोयल की अदालत ने खारिज कर दिया था। उसके बाद मंगलवार को उन्होंने अधिवक्ता आशीष शर्मा के जरिए सुबह दूसरी और दोपहर तक तीसरी याचिका दायर करते हुए नए सिरे से विलय और 22 जुलाई के स्पीकर सीपी जोशी के आदेश को चुनौती दी है।

'दुर्भावना से ग्रसित होकर स्पीकर ने खारिज की याचिका'

दोनों याचिकाओं में कहा गया है कि राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने दुर्भावना से ग्रसित होकर उनके समक्ष दायर याचिका को बिना सुनवाई का मौका दिए खारिज कर दिया। वो भी तब जब याचिकाकर्ता ने स्पीकर के सुनवाई न करने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। ऐसे में याचिकाकर्ता की याचिका को सारहीन करवाने के उद्देश्य से अपने समक्ष याचिका को स्पीकर ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका में लगाई गए विधानसभा के आदेश को सत्यापित नहीं करवाया गया।


क्यों पड़ी दो याचिकाएं दायर करने की आवश्यकता?

दरअसल, सोमवार को पहली याचिका निस्तारित होने के बाद मदन दिलावर की ओर से जल्दबाजी में विधानसभा सचिवालय की ओर से दी गई एक पेज की जानकारी को ही चुनौती दे दी गई। लेकिन इसके बाद उन्हें विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 22 जुलाई को दिए गए आदेश की प्रति भी मिल गई। ऐसे में दिलावर की ओर से दूसरी याचिका में इस पूरे आदेश को चुनौती दी गई है।

बसपा की ओर से आज दायर हो सकती है याचिका

इस पूरे मामले में बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी आज हाई कोर्ट में याचिका दायर हो सकती है। पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से यह याचिका दायर की जा सकती है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। ऐसे में उसका विलय तभी मान्य किया जा सकता है, जब वह राष्ट्रीय स्तर पर हो। ऐसे में पार्टी विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितम्बर 2019 के विलय के आदेश को चुनौती दे सकती है।

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