देश: 'बीजेपी का चुनावी अमृत, भारत के लिए राजनीतिक जहर', द इकोनॉमिस्ट में मोदी सरकार पर निशाना

देश - 'बीजेपी का चुनावी अमृत, भारत के लिए राजनीतिक जहर', द इकोनॉमिस्ट में मोदी सरकार पर निशाना
| Updated on: 24-Jan-2020 04:17 PM IST
नई दिल्ली | मशहूर मैगजीन 'द इकोनॉमिस्ट' ने अपने नए एडिशन में मोदी सरकार की नीतियों को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी की है। जिसके बाद गुरुवार से ही सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू हो गई है। लंदन से प्रकाशित होने वाला सप्ताहिक मैगजीन 'द इकोनोमिस्ट' ने गुरुवार को 'असहिष्णु भारत, कैसे मोदी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को बर्बाद कर रहे हैं?' शीर्षक से 25-31 जनवरी के लिए नया एडिशन लॉन्च किया है।

इसके कवर पेज पर भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिह्ण कमल को कंटीली तारों के बीच में दिखाया गया है। फोटो के जरिए देश के अंदर दीवार खड़ी किए जाने या कांटे बिछाने जैसे संदेश देने की कोशिश की गई है। आम तौर पर दो देशों के बीच के बॉर्डर पर इस तरह के ही कंटीली तारों का प्रयोग किया जाता है।

'द इकोनॉमिस्ट' मैगजीन में मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना के लिए तीन शीर्षक से आर्टिकल छापे गए हैं। पहला मुद्दा, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को  मोदी सरकार कैसे संभाल रही है, दूसरा, सुधार लाने में असमर्थ सरकार और तीसरा, आर्थिक मंदी पर आधारित है।

इस एडिशन का सबसे लंबा आर्टिकल 'लीडर' अधिक घातक और चर्चा वाला है। इसमें लिखा है, "भारत के 20 करोड़ मुस्लिम डरे हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के निर्माण में जुटे हैं।" इस आर्टिकल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को उस स्कीम के तौर पर दिखाया गया है जो लोगों को भड़काने के लिए बीजेपी की पिछले एक दशक की सबसे महत्त्वाकांक्षी कदम है। जिसकी शुरुआत  80 के दशक में राम मंदिर के लिए आंदोलन के साथ हुई थी।

इकोनोमिस्ट में चर्चा की गई है, 'बीजेपी के लिए जो चुनावी अमृत है वो भारत के लिए एक राजनीतिक ज़हर है। भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना की अनदेखी करते हुए मिस्टर मोदी ने भारत का जो नुकसान किया है वो दशकों तक चलने वाला अंतहीन मुद्दा है।'

इकोनोमिस्ट ने आगे लिखा, "मोदी ने मुस्लिम समुदाय के उन लोगों का भी 'हिसाब-किताब' लगाया है जो अल्पसंख्यकों के लिए बीजेपी के स्टैंड से सहानुभूति रखते हैं। और 'यह कारण' उन लोगों को बीजेपी ऑफिस में जगह देने के लिए काफी है।"

'द इकोनोमिस्ट' ने अर्थव्यवस्था पर लिखे लेख में रेलवे टिकट, मोबाइल टैरिफ और खाने के आइटम्स में महंगाई का हवाला देते हुए भारत को गंभीर अर्थव्यवस्था की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि देश में बढ़ती महंगाई, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को विफल कर रहा है। मैगजीन में आने वाले बजट को लेकर कई लुभावने घोषणा का अनुमान भी लगाया गया है।

वहीं तीसरा आर्टिकल जिसका शीर्षक 'भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को नष्ट करने वाला नरेंद्र मोदी का संप्रदायवाद' है। इस आर्टिकल में मोदी के राजनीतिक रणनीति पर चर्चा की गई है। इसमें चर्चा इस बात पर है कि 2019 लोकसभा चुनाव के बाद कैसे मोदी सरकार ने 'हिंदुत्व सोशल एजेंडा' आगे बढ़ाने के लिए कैसे दोनों हाथ खोल दिए हैं।

'द इकोनोमिस्ट' के नए एडिशन को लेकर अब सोशल मीडिया पर माहौल गरमा गया है। बीजेपी नेता विजय चौथाईवाले ने मैगजीन को औपनिवेशिक मानसिकता वाला बताया है। उन्होंने लिखा कि मुझे तो लगता था कि 1947 में ही अंग्रेज चले गए थे। लेकिन द इकोनोमिस्ट के एडिटर अब भी उसी युग में जी रहे हैं।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।