देश : राहुल के वीडियो को मायावती ने बताया नाटक, कहा- मजदूरों की दुर्दशा कांग्रेस की देन

देश - राहुल के वीडियो को मायावती ने बताया नाटक, कहा- मजदूरों की दुर्दशा कांग्रेस की देन
| Updated on: 23-May-2020 02:22 PM IST
Coronavirus in India: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन का सहारा लिया। लेकिन इस दौरान प्रवासी मजदूरों को होने वाली मुश्किलों को लेकर सरकार निशाने पर रही। शनिवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों से बातचीत का एक वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया।

इसमें उन्होंने 16 मई 2020 को सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास मजदूरों से बातचीत के कुछ अंश डाले हैं। बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) प्रमुख मायावती ने इस वीडियो को नाटक करार दिया है। इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के लिए भी पहले की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल पर कई ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में उन्होंने श्रमिकों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताते हुए लिखा, 'आज पूरे देश में कोरोना लॉकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लंबे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गांव/शहरों में की गई होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ता?'

वहीं दूसरे ट्वीट में यूट्यूब पर जारी किए गए वीडियो को लेकर मायावती ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेता द्वारा लॉकडाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने संबंधी जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह हमदर्दी वाला कम व नाटक ज्यादा लगता है। कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता।'

उन्होंने आगे लिखा, 'साथ ही, बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी।'

पार्टी के लोगों से अपील करते हुए मायावती ने लिखा, 'बीएसपी के लोगों से भी पुनः अपील है कि जिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने पर उन्हें गांवों से दूर अलग-थलग रखा गया है तथा उन्हें उचित सरकारी मदद नहीं मिल रही है, ऐसे लोगों को अपना मानकर उनकी भरसक मानवीय मदद करने का प्रयास करें। मजलूम ही मजलूम की सही मदद कर सकता है।'

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