देश: पीएम मोदी की बैठक में देरी से पहुंचे बंगाल के मुख्य सचिव का केंद्र ने किया तबादला

देश - पीएम मोदी की बैठक में देरी से पहुंचे बंगाल के मुख्य सचिव का केंद्र ने किया तबादला
| Updated on: 29-May-2021 01:06 PM IST
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी (मुख्य सचिव) अलपन बंदोपाध्या का दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है। कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन ने चीफ सेक्रेटरी को 31 मई को नई दिल्ली में उसके ऑफिस में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार से उन्हें जल्द से जल्द रिलीव करने का भी अनुरोध किया है।

चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली बुलाए जाने का यह घटनक्राम उसके बाद देखने को मिला है जब आज ही चक्रवाती तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में अधिकारियों और मुख्यमंत्री के साथ बैठक की थी। ममता बनर्जी इस मीटिंग में आधे घंटे देरी से पहुंची थीं। उनके साथ-साथ अलपन बंदोपाध्याय भी थे। 

बता दें कि अलपन बंदोपाध्याय का बतौर मुख्य सचिव उनका कार्यकाल इसी महीने के आखिरी में खत्म हो रहा था लेकिन कुछ दिन पहले ही ममता सरकार ने अगले तीन महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था। अलपन बंदोपाध्याय को ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। वहीं, बंगाल से राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने चीफ सेक्रेटरी के ट्रांसफर को लेकर कहा कि क्या आजादी के बाद से ऐसा कभी हुआ है? किसी राज्य के मुख्य सचिव की जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति। कितना नीचे गिरेगी मोदी-शाह की बीजेपी? सब इसलिए क्योंकि बंगाल के लोगों ने दोनों को अपमानित किया और भारी जनादेश के साथ ममता बनर्जी को चुना।

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चक्रवात 'यास से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नदारद रहीं और ऐसा करके उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार करने के साथ ही संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत किया।

जेपी नड्डा ने ममता के व्यवहार को जहां पीड़ादायक बताया वहीं शाह ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया जबकि नड्डा ने कहा कि ममता बनर्जी की नीति एवं क्षुद्र राजनीति ने बंगाल के लोगों को परेशान किया है। नड्डा ने ट्वीट कर कहा, आपदा काल में बंगाल की जनता को सहायता देने के भाव से आए हुए प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार पीड़ादायक है। जन सेवा के संकल्प व संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर राजनैतिक मतभेदों को रखने का यह एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है, जो भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत करने वाला है।

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