Ozone layer: बंद हो गया Arctic के ऊपर ओजोन परत का छेद, क्या कोरोना की वजह से हुआ ऐसा

Ozone layer - बंद हो गया Arctic के ऊपर ओजोन परत का छेद, क्या कोरोना की वजह से हुआ ऐसा
| Updated on: 26-Apr-2020 01:20 PM IST
नई दिल्ली: पिछले महीने उत्तरी ध्रुव (North ole) में आर्कटिक (Arcitc) के ऊपर ओजोन परत (Ozone Layer) में बड़ा छेद (Hole) हो गया था। अब वह छेद बंद हो गया है। यह छेद कुछ दिनों पहले तक बहुत बड़ा हो गया था, जिसकी वजह से पूरा विज्ञान जगत चिंतित हो गया था। लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक यह छेद पूरी तरह से बंद हो गया है।

कोरोना संकट के समय पर बना और तभी बंद भी हुआ यह छेद

यह छेद ऐसे समय पर बना था जब पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही थी। इस दौरान दुनिया भर में आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों सहित यातायात तक बंद हो गया था। कई लोगों को लगा कि इस वजह से जो वायु प्रदूषण में सुधार हुआ है, उससे यह छेद बंद हो सका। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस तरह की दलीलों को खारिज कर इसका असली कारण बताया है।

वैज्ञानिकों ने की इसके बंद होने की पुष्टि

कॉपरनिकन एटमॉस्फियर ऑबजरवेशन सर्विस ने जानकारी दी है कि उत्तरी ध्रुव में आर्कटिक के ऊपर जो अप्रत्याशित रूप से ओजोन छेद बना था वह पूरी तरह से बंद हो गया है। इस छेद ने पिछले महीने बहुत बड़ा आकार ले लिया था। वैज्ञानिकों को आशंका थी कि यह छेद दक्षिणी गोलार्ध तक जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

परेशान होने लगे थे वैज्ञानिक

ऑबजर्वेशन सर्विस ने अपने बयान में कहा, “2020 में उत्तरी गोलार्ध में बना ओजोन होल बंद हो गया है। यह कम तापमान के कारण मार्च में बने इस बड़े छेद ने वैज्ञानिकों में हड़कंप मचा दिया था। इसकी वजह से अप्रिय घटनाएं होने की भी आशंका जताई गई थी। लेकिन ऐसा कुछ होने से पहले ही यह छेद बंद हो गया।

तो क्या है कोरोना वायरस से इसका संबंध

वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना संकट के समय इस घटना का होना महज संयोग है। कोरोना वायरस की वजह से चल रह लॉक डाउन के कारण जो प्रदूषण में कमी आई है उसका भी इसके बंद होने से कोई संबंध नही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस दौरान ग्रीन हाउस गैसों की कमी इस छेद के बंद होने में मददगार रही, लेकिन वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि कोरोना प्रभाव का भी इस छेद के बंद होने से कोई लेना देना नहीं है।

तो क्या वजह बताई

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस छेद के बंद होने की वजह समतापमंडल (Stratosphere) का गरम होना है। अप्रैल महीने से उत्तरी ध्रुव का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है। इस कारण आर्कटिक के ऊपर की समतापमंडल परत भी गर्म होने लगी और ओजोन परत में ओजोन की मात्रा बढ़ने लगी यानी वह छेद बंद हो गया।

क्या है ओजोन परत

पृथ्वी के वायुमंडल में क्षोभमंडल (Troposphere) और समतापमंडल के बीच 15 से 30 किलोमीटर में ओजोन की बहुतायात होती है जिसे ओजोन परत कहते हैं। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों को रोक देती है। ओजोन परत में छेद का मतलब उस क्षेत्र में ओजोन की मात्रा बहुत ही कम हो जाना होता है।

अंटार्टिका के ऊपर का छेद छोटा हो रहा है कोरोना वायरस के कारण

 आमतौर पर ओजोन परत में छेद का मतलब अंटार्कटिका के ऊपर वाले छेद को माना जाता है जो दशकों से बड़ा होता जा रहा है। उसके बड़े होने के पीछे की वजह वायु प्रदूषण माना जाता है। कई वैज्ञानिकों को लग रहा है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन छेद के आकार में हाल में आई कमी का जिम्मेदार कोरोना संकट भी है। कोरोना संकट के दौरान हुए लॉकडाउन के कारण औद्योगिक गतिविधियां बंद होने से कम हुए प्रदूषण की इसमें भूमिका रही है। शायद लोग आर्कटिक के ऊपर ओजोन छेद के बंद होने का भी यही कारण मान रहे हैं।

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