बिजनेस: पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के तहत लाने का यह समय नहीं है: वित्त मंत्री

बिजनेस - पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के तहत लाने का यह समय नहीं है: वित्त मंत्री
| Updated on: 18-Sep-2021 08:46 AM IST
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक के नतीजे आ गए हैं। बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की उम्मीद थी। हालांकि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को लगा कि यह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्य इस विचार से सहमत हैं। मतलब ये कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती का इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक झटका है। 

हालांकि, तेल विपणन कंपनियों को डीजल में मिलाने के लिए आपूर्ति की जाने वाली बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। अब देखना अहम होगा कि तेल कंपनियां क्या ग्राहकों को इस छूट का फायदा देती हैं कि नहीं। आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। इस वजह से आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ रहा है। यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल के जीएसटी दायरे में लाने की उम्मीद की जा रही थी।  

केरल, महाराष्ट्र का विरोध: इससे पहले राज्यों की ओर से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया गया। केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा। बालागोपाल के मुताबिक इस कदम से राज्य के राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वहीं, महाराष्ट्र ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव के विरोध का ऐलान किया है। 

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जो वित्त विभाग भी संभालते हैं, ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि मौजूदा कर प्रणाली को उन राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता बनाए रखने के लिए नहीं बदला जाना चाहिए जो पहले से ही कोविड -19 महामारी के कारण वित्तीय संकट में हैं। उन्होंने मांग की है कि केंद्र को ईंधन पर लगाए गए अपने करों को कम करना चाहिए जिससे लोगों को कीमतों में बढ़ोतरी से राहत मिल सके।

कोरोना दवाओं पर छूट बरकरार: मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कोरोना से जुड़ी दवाओं पर जीएसटी छूट जारी रहेगी। ये छूट 31 दिसंबर 2021 तक के लिए है। वहीं, जीवन-रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी छूट का फैसला लिया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि ज़ोल्गेन्स्मा और विल्टेप्सो दवाओं पर जीएसटी छूट दी गई है। ये दोनों बेहद जरूरी दवाएं हैं जिनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसलिए जीएसटी काउंसिल ने इन 2 दवाओं के लिए जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है। वहीं, मेडिकल इक्विपमेंट्स पर जीएसटी छूट नहीं दी गई है। 

विशेष विकलांग व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों के लिए रेट्रो फिटमेंट किट पर जीएसटी दरों को भी घटाकर 5% कर दिया गया है। वहीं, फूड डिलिवरी ऐप्स को जीएसटी दायरे में लाए जाने को लेकर अभी फैसला नहीं लिया गया है। आपको बता दें कि देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद काउंसिल की पहली फिजिकल बैठक थी। कोरोना काल में अब तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हो रही थी।

अगस्त में कितना रहा कलेक्शन: बीते अगस्त महीने में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। ये लगातार दूसरा महीना था जब जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार किया। हालांकि, अगस्त में जुटाई गई राशि, जुलाई 2021 के 1.16 लाख करोड़ रुपये से कम रही है। अगर एक साल पहले के अगस्त माह से तुलना करें तो इस बार कलेक्शन में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है।

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