मनी: COVID-19 संकट में राज्यों को राहत, इस साल ले सकेंगे 4.28 लाख करोड़ रुपये ज्यादा कर्ज

मनी - COVID-19 संकट में राज्यों को राहत, इस साल ले सकेंगे 4.28 लाख करोड़ रुपये ज्यादा कर्ज
| Updated on: 17-May-2020 05:16 PM IST
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिये राज्यों की कुल कर्ज उठाने की सीमा बढ़ा कर पांच फीसदी करने की घोषणा की। अभी तक वे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन फीसदी तक ही बाजार से कर्ज ले सकते थे। इस कदम से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त धन उपलब्ध होगा।

अप्रैल में राज्यों को 46 हजार करोड़ रुपये

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पांचवीं और अंतिम किस्त जारी करते हुए कहा कि केंद्र ने वास्तविक राजस्व संग्रह बजट अनुमानों से काफी कम रहने के बाद भी अप्रैल में राज्यों को करों से प्राप्त राशि में से 46,038 करोड़ रुपये दिये। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के समक्ष संसाधनों की कमी के बाद भी राज्यों को अप्रैल और मई में कुल 12,390 करोड़ रुपये के बराबर राजस्व घाटा अनुदान दिया गया।

कोरोना रोकथाम के लिए भी राज्यों को मिले 4,113 करोड़ रुपये

इसके अलावा, अप्रैल के पहले सप्ताह में 11,092 करोड़ रुपये के राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) को अग्रिम तौर पर जारी किये गये। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम से संबंधित प्रत्यक्ष गतिविधियों के लिये 4,113 करोड़ रुपये से अधिक जारी किये।

आरबीआई ने भी राज्यों के लिए उठाए कदम

वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के अनुरोध पर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्यों के लिये कर्ज जुटाने के उपायों (वेज एंड मीन्स एडवांस लिमिट) में 60 फीसदी की वृद्धि की। इसके अलावा, एक माह में लगातार ओवरड्राफ्ट की स्थिति 14 दिनों से बढ़ाकर 21 दिनों तक रख सकने की छूट दी गयी। इसी तरह एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट की स्थिति कुल मिला कर 32 दिन की बजाय 50 दिन तक रखने की छूट दी गयी है।


अब कुल 6.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले सकेंगे राज्य

राज्यों के लिये 2020-21 के दौरान उधार जुटाने की पहले से स्वीकृत कुल सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपये है। राज्यों ने अब तक अधिकृत सीमा का केवल 14 प्रतिशत उधार लिया है। 86 प्रतिशत अधिकृत कर्ज सीमा को अभी तक उपयोग में नहीं लाया गया है। हालांकि राज्य इसके बावजूद कुल उधार की सीमा को जीएसडीपी के तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी करने की मांग कर रहे थे।

क्या है राज्यों के कर्ज का पूरा प्रावधान

उन्होंने कर्ज की सीमा बढ़ाने का ब्योरा देते हुए कहा कि अतिरिक्त उधार की छूट विशिष्ट सुधारों से जुड़ी होंगी। तीन फीसदी की सीमा से ऊपर उधार की सीमा में 0.50 फीसदी की वृद्धि बिना शर्त की जा सकेगी। इसके अलावा 0.25-0.25 फीसदी की चार किस्तों में कुल मिला कर एक फीसदी बढ़ा हुआ कर्ज स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट, तुलनीय और व्यवहार्य सुधारों से जुड़ा हुआ होगा। यदि चार सुधारों में से तीन के लक्ष्यों को पा लिया जाता है तो और 0.50 फीसदी कर्ज जुटाने की छूट होगी।’’


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