Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस का दलित कार्ड, BJP को नए चेहरों के जरिए रोकने की तैयारी

Lok Sabha Election 2024 - कांग्रेस का दलित कार्ड, BJP को नए चेहरों के जरिए रोकने की तैयारी
| Updated on: 14-Jul-2023 06:21 PM IST
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस वर्किंग कमेटी और एआईसीसी में नए सदस्यों की इंट्री देकर कांग्रेस पार्टी मजबूती की राह तलाशने को लेकर लगभग तैयार दिख रही है. कांग्रेस पार्टी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में मुकुल वासनिक और एआईसीसी में नीरज डांगी को जगह देने का मन लगभग बना चुकी है. गौरतलब है कि ये दोनों नेता दलित समुदाय से आते हैं और कांग्रेस इन्हें तवज्जो देकर कांग्रेस की खोई ज़मीन तलाशने में जुट गई है. ज़ाहिर है कांग्रेस की रणनीति में दलितों को साधने को लेकर राजनीति तेज होती दिख रही है.

कांग्रेस अपने कोर वोट बैंक पर खासा ध्यान दे रही है . कांग्रेस की ये ऱणनीति कर्नाटक चुनाव के बाद सिद्धारमैया को सीएम बनाने के बाद साफ तौर पर नजर आई है. सिद्धारमैया की अहिंदा समीकरण में दलितों को साधने के अलावा मुसलमानों को साधने को लेकर भी रणनीति दिखाई पड़ी है. ज़ाहिर है कांग्रेस नेतृत्व पार्टी के संगठन में भी वैसा चुनाव कर पार्टी की खोई ज़मीन को मजबूत करने की जुगत में दिख रही है. पार्टी अध्यक्ष खरगे के नेतृत्व में दलित चेहरे को तवज्जो देकर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ज़मीन मजबूत करने की तैयारी जोरों पर है.

कांग्रेस अपनी रणनीति में दलितों को जगह प्रमुखता से क्यों दे रही है ?

कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा जिन दो दलितों को संगठन में तवज्जो देने का मन बना चुकी है उसमें पहला नाम मुकुल वासनिक का है. मुकुल वासनिक गांधी परिवार के विश्वासपात्र के अलावा कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर गिने जाते हैं. मुकुल वासनिक संगठन और सरकार में काम करने का अच्छा खासा अनुभव रखते है. मुकुल वासनिक केन्द्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री भी रह चुके हैं वहीं महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने की वजह से उन्हें दलित का बड़ा चेहरा कहा जाता है.

महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना के खंडित होने के बाद कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है. इसलिए कांग्रेस पार्टी दलित चेहरे को आगे कर चुनावी कमीकरण साधने में जुट गई है. संगठन और सरकार का लंबा अनुभव रखने वाले मुकुल वासनिक कांग्रेस के रिवाइवल में अहम योगदान दे सकते हैं. इसलिए कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राहुल गांधी के साथ लंबी चर्चा के बाद मुकुल वासनिक को सीडब्लूसी और राजस्थान के रहने वाले नीरज डांगी को एआईसीसी में जगह देने का मन बना चुके हैं.

कौन हैं नीरज डांगी और कांग्रेस इन पर दांव क्यों खेल रही है ?

नीरज डांगी भी दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं. राजस्थान के रहने वाले नीरज डांगी विधानसभा का चुनाव दो बार लड़ चुके हैं लेकिन इन दोनों चुनावों में उन्हें असफलता ही हाथ लगी थी. लेकिन नीरज डांगी अपनी कार्यकुशलता से केन्द्रीय नेतृत्व की पसंद पहले ही बन चुके थे. इसलिए नीरज डांगी को कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा से सांसद बनाकर दिल्ली बुला लिया. नीरज डांगी को कांग्रेस पार्टी में अजातशत्रु कहा जाता है.

हाल में संपन्न हुए कर्नाटक के चुनाव में नीरज डांगी को स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य बनाकर पार्टी अच्छी तरह आजमा चुकी है. कहा जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे नीरज डांगी की कार्यकुशलता के कायल हैं इसलिए उन्हें एआईसीसी में जगह देकर पुरस्कृत करने का मन बना चुके हैं.

नए चेहरों के पीछे की क्या है रणनीति?

ज़ाहिर है कांग्रेस महाराष्ट्र और राजस्थान से आने वाले इन दो चेहरों पर दांव खेलकर राजस्थान और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के साथ साथ लोकसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने की तैयारी का मन बना चुकी है. दरअसल महाराष्ट्र में 48 और राज्सथान में 25 लोकसभा की सीटें आती हैं. कांग्रेस नई रणनीति बीजेपी को महाराष्ट्र और राजस्थान में अच्छे तरीके से घेरने की है जहां बीजेपी साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करती रही है.

कांग्रेस की रणनीति मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में दलितों को तवज्जो देकर कांग्रेस की परंपरागत वोटर्स को साधने है. इसलिए कांग्रेस का एक धड़ा मायावती के साथ तालमेल का भी पक्षधर है. ज़ाहिर है कांग्रेस में यो सोच मजबूत होती जा रही है कि कांग्रेस अपने आपको मजबूत पार्टी के तौर पर प्रोजेक्ट करती है तो मुसलमानों के अलावा अन्य जातियों का भी समर्थन उसे मिल सकता है जो कांग्रेस पार्टी की परंपरागत वोटर्स रही हैं.

क्यों दलित कार्ड खेलने की पक्षधर दिख रही है ?

रघुवीर मीणा दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी चेहरे के रूप में पहचाने जाते हैं. रघुवीर मीणा सांसद और एआईसीसी सदस्य भी रहे हैं. बीजेपी पहले से राजस्थान,एमपी और गुजरात में आदिवासी समाज को साधने के प्रयास में जुटी हुई है. कांग्रेस बीजेपी की चाल का जवाब रघुवीर मीणा को सीडब्ल्यूसी या एआईसीसी में जगह देकर देने का सोच रही है. हाल में राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे की मौजूदगी में एआईसीसी की बैठक हुई थी जिसमें प्रमुख मुद्दे राजस्थान में सरकार की वापसी से लेकर पार्टी की मजबूती पर गंभीर मंत्रणा की गई थी. राजस्थान में दलितों और आदिवासियों के अलावा जाट, ब्राह्मणों,गुजर्रों और मीणा समाज पर मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस कई दांव खेलने का मन बना चुकी है.

कई राज्यों में कांग्रेस पर मेहरबान रहे दलित और आदिवासी वोटर

साल 1969 में कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद, बाबू जगजीवन राम की अध्यक्षता के बाद मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस का नेतृत्व करने आगे आए हैं. जगजीवन राम के नेतृत्व में कांग्रेस साल 1971 में शानदार जीत लोकसभा चुनाव में हासिल की थी. कांग्रेस की उम्मीद को 8 दिसंबर को पंख लगा था जब गुजरात चुनाव में भारी विफलता के बावजूद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस जीतने में सफल रही थी. 2017 में हिमाचल प्रदेश में दलित और आदिवासियों का वोट कांग्रेस और बीजेपी में लगभग बराबर बंटा था लेकिन साल 2022 में दलित और आदिवासी मतदाताओं की वजह से कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी.

हिमाचल के बाद कर्नाटक में मिली जीत के बाद दलित और आदिवासी मतदाताओं से उम्मीदें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के राज्यों में बढ़ गई हैं जहां विधानसभा चुनाव होना इस साल बाकी है. ज़ाहिर है कांग्रेस दलित और आदिवासियों के सहारे ही साल 2014 के चुनाव में बीजेपी का रास्ता रोकने की उम्मीद में आगे बढ़ रही है

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