Science: धरती की तरफ आ रहे हैं खतरनाक एस्टेरॉयड्स, इस हफ्ते दो बार रिस्क!
Science - धरती की तरफ आ रहे हैं खतरनाक एस्टेरॉयड्स, इस हफ्ते दो बार रिस्क!
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Updated on: 06-May-2021 06:55 AM IST
Delhi: अंतरिक्ष से धरती की तरफ दो खतरनाक और बड़े एस्टेरॉयड्स यानी क्षुद्र ग्रह आ रहे हैं। पहला आज देर रात किसी समय धरती के बगल से निकलेगा। दूसरा 6 मई यानी गुरुवार को रात साढ़े 9 बजे के आसपास निकलेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इन्हें पोटेंशियली हजार्ड्स एस्टेरॉयड कहा है। यानी ये खतरनाक हो सकता है। क्योंकि ये धरती से 74।79 लाख किलोमीटर की दूरी के आसपास निकलेंगे। ये दूरी अंतरिक्ष में बहुत छोटी मानी जाती है। क्योंकि एस्टेरॉयड्स हजारों किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ते हैं। नासा के सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स स्टडीज (CNEOS) के मुताबिक कई बार एस्टेरॉयड्स धरती के बगल से निकलते हैं। इसके बाद वो सूर्य की कक्षा में चले जाते हैं। जो दो एस्टेरॉयड्स धरती की तरफ आ रहे हैं, उनका नाम है 2021 HC3 और 2021 AE4। वैसे तो ये दोनों धरती से इंसानों के हिसाब से चांद की दूरी से करीब 18 गुना ज्यादा दूर रहेंगे। लेकिन अंतरिक्ष के हिसाब से ये दूरी बहुत ज्यादा नहीं होती।एस्टेरॉयड्स की दूरी एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स (AU) ने नापी जाती है। आइए जानते हैं कौन सा एस्टेरॉयड धरती से कितनी दूरी से निकलेगा। 2021 HC3 आज रात 0।047 AU यानी 70।31 लाख किलोमीटर की दूरी से निकलेगा। यह एस्टेरॉयड करीब 460 फीट व्यास का पत्थर है। हालांकि इसका सही अंदाजा नहीं लगाया जा सका है। यह 984 फीट बड़ा भी हो सकता है। यानी एंपायर स्टेट बिल्डिंग से बड़ा।दूसरा एस्टेरॉयड 2021 AE4 गुरुवार यानी 6 मई की रात करीब साढे 9 बजे धरती के बगल से निकलेगा। इसकी गति 32,652 किलोमीटर प्रति घंटा है। यानी 9।07 किलोमीटर प्रति सेकेंड। इसका आकार 120 मीटर से 260 मीटर के बीच हो सकता है। यानी 393।70 फीट से लेकर 853 फीट तक। CNEOS के मुताबिक जो एस्टेरॉयड 328 फीट यानी 100 मीटर से ज्यादा बड़ा होता है, उससे धरती पर खतरा रहता है। हालांकि धरती पर एस्टेरॉयड्स बड़े स्तर का नुकसान 10 हजार साल में एक बार करते हैं। अगर एक किलोमीटर आकार वाला कोई एस्टेरॉयड धरती से टकराता है तो वह पूरी धरती पर तबाही मचा सकता है। हालांकि, इतना बड़ा एस्टेरॉयड अभी तक धरती से कई करोड़ों साल में नहीं टकराया है।वैज्ञानिकों को डर इस बात का है कि अगर कहीं यह धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र यानी ग्रैविटी की चपेट में आ गया तो यह भारी नुकसान पहुंचा सकता है। अगर यह समुद्र में गिरा तो तेज सुनामी ला सकता है, अगर किसी जमीनी इलाके पर गिरा तो बड़ा गड्ढा कर देगा या फिर बहुत बड़े इलाके को जला देगा। क्योंकि धरती के वायुमंडल में आते ही ये घर्षण से जलने लगेगा। NASA और CNEOS के वैज्ञानिक इन एस्टेरॉयड पर नजर रखे हुए हैं। क्योंकि इसकी गति बहुत तेज है। खगोलविदों के मुताबिक ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं। लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं। खगोलविदों के अंतरराष्ट्रीय समूह के डॉ। ब्रूस बेट्स ने ऐसे एस्टेरॉयड को लेकर कहा कि छोटे एस्टेरॉयड कुछ मीटर के होते हैं। ये अक्सर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं। इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है। साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था। एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था।
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