सावधान: चीन के बेकाबू रॉकेट का मलबा 2 दिन में धरती पर गिरेगा, मच सकती है तबाही

सावधान - चीन के बेकाबू रॉकेट का मलबा 2 दिन में धरती पर गिरेगा, मच सकती है तबाही
| Updated on: 06-May-2021 11:17 AM IST
चीन पृथ्वी ही नहीं अंतरिक्ष में भी अपनी बादशाहत हासिल करने में जुटा पड़ा है लेकिन उसके परीक्षण अब धरती के लिए धीरे-धीरे खतरा बनते जा रहे हैं। चीन का एक विशालकाय रॉकेट अंतरिक्ष में बेकाबू हो चुका है और अब यह शनिवार तड़के तक धरती पर गिर सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चीन के पहले स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन के मुख्य मॉड्यूल को कक्षा में लॉन्च करने वाले रॉकेट का सबसे बड़ा हिस्सा शनिवार तड़के किसी अज्ञात स्थान पर गिर सकता है। आमतौर पर पृथ्वी के वायुमंडल में घर्षण से नष्ट हो गए रॉकेट के अलग-अलग हिस्सों को तुरंत नियंत्रित तरीके से विध्वंस किया जाता है, लेकिन चीनी रॉकेट के साथ यह बात नहीं है।

यह रॉकेट करीब 100 फीट लंबा है और इसका वजन करीब 21 टन है। इन दो दिनों के समय में यह रॉकेट धरती का 30 बार चक्कर लगाएगा। यह रॉकेट एक घंटे में 18 हजार मील की दूरी तय कर रहा है। अगर यह हिस्सा किसी आबादी वाले इलाके में गिरा तो तबाही मच सकती है। 

चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने अभी तक यह नहीं कहा है कि विशाल लॉन्ग मार्च 5 बी रॉकेट के "कोर स्टेज" को नियंत्रित किया जा रहा है या यह एक आउट ऑफ कंट्रोल होगा। पिछले मई में एक और चीनी रॉकेट पश्चिम अफ्रीका के अटलांटिक महासागर में अनियंत्रित होकर गिर गया था।

रॉकेट के हिस्से और इसके प्रक्षेपवक्र के बारे में बुनियादी जानकारी अज्ञात है क्योंकि चीनी सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से टिप्पणी नहीं की है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने फोन कॉल का बुधवार को जवाब नहीं दिया।

हालांकि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि इस हिस्से की एल्यूमीनियम-मिश्र धातु की बाहरी "पतली परत" आसानी से वातावरण में जल जाएगी, जिससे लोगों को बेहद कम जोखिम में रहना होगा।

अंतरिक्ष में मौजूद कचरे से यूं तो पृथ्वी के जीवन पर कोई खास जोखिम नहीं होता लेकिन इससे मौसम, पर्यावरण की जानकारी इकट्ठा करने वाले ऐक्टिव सैटलाइट्स को जरूर खतरा होता है। 

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट का हिस्सा 8 से 10 मई के बीच पृथ्वी पर गिर सकता है। यूएस स्पेस कमांड रॉकेट पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। हालांकि, रॉकेट की सटीक लोकेशन बता पाना तब तक मुश्किल है जब तक यह पृथ्वी से चंद घंटे दूर न हो।

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