Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण पर CJI सूर्यकांत: 'जजों के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है'
Delhi Air Pollution - दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण पर CJI सूर्यकांत: 'जजों के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है'
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त की। सुनवाई के दौरान, एक वकील ने स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हुए। कहा कि हम 'इमरजेंसी जैसी स्थिति' में हैं और 'असली दिक्कत मॉनिटरिंग की है'। इस पर CJI सूर्यकांत ने स्पष्ट रूप से कहा कि 'हमें कारण पता हैं, अब समाधान चाहिए' और उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह समस्या हर साल दिवाली के आसपास चर्चा में आती है और सर्दियों के खत्म होते ही यह मुद्दा गायब हो जाता है, जो इसके चक्रीय और अनसुलझे स्वरूप को दर्शाता है।
ठोस कदमों की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर बल दिया कि वायु प्रदूषण की समस्या केवल मौखिक चर्चाओं से हल नहीं होगी, बल्कि इसके लिए 'ठोस कदमों' की आवश्यकता है और कोर्ट ने कहा कि सिर्फ बातें करने से हवा साफ नहीं होगी, बल्कि वास्तविक और प्रभावी उपायों को लागू करना होगा। सुनवाई के दौरान, वकील ने बताया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का निर्धारण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है। इस पर CJI सूर्यकांत ने कहा कि वे यह भी देखेंगे कि सरकार ने ऐसी कोई विशेषज्ञ समिति गठित की है या नहीं और यदि है, तो उस समिति ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए क्या सिफारिशें की हैं या क्या कदम उठाए जा सकते हैं। यह दर्शाता है कि कोर्ट इस मामले में सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही और उनकी कार्यप्रणाली की जांच करने के लिए उत्सुक है।
CJI सूर्यकांत ने इस बात पर जोर दिया कि इस जटिल समस्या का समाधान रातों-रात नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, 'जजों के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि आज ही हवा साफ कर दें। ' उन्होंने यह भी कहा कि यह 'बहुत अहम मुद्दा' है और 'एनसीआर के हर निवासी की समस्या' है और cJI ने स्पष्ट किया कि समस्या की 'असली वजहें' जाननी होंगी, और ये वजहें 'कई हैं, सिर्फ एक नहीं'। उन्होंने विशेषज्ञों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि 'समाधान भी एक्सपर्ट्स ही बता सकते हैं'। CJI ने उम्मीद जताई कि सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम। उठाए होंगे और आगामी सुनवाई में उन कदमों की जानकारी प्रस्तुत की जाएगी। यह टिप्पणी न्यायिक प्रक्रिया की सीमाओं और विशेषज्ञता की आवश्यकता को रेखांकित करती है।दिल्ली में AQI की बेहद खराब स्थिति
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 355 दर्ज किया गया, जिसे 'बेहद खराब' श्रेणी में रखा गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मानकों के अनुसार, AQI को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है: 0 से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है और दिल्ली का वर्तमान AQI स्तर दर्शाता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा है, जिससे संवेदनशील लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं और स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सोमवार को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है, जिसमें सरकार और संबंधित एजेंसियां हवा को साफ करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती हैं। यह देखना होगा कि इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए क्या नए और प्रभावी उपाय सामने आते हैं।