कोरोना वायरस: संक्रमण में अधिक वृद्धि नहीं कर पाएगा डेल्टा प्लस वैरिएंट, अब तक 86 मामले मिले: सरकार

कोरोना वायरस - संक्रमण में अधिक वृद्धि नहीं कर पाएगा डेल्टा प्लस वैरिएंट, अब तक 86 मामले मिले: सरकार
| Updated on: 11-Aug-2021 06:51 AM IST
नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते केसेज के बीच डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर एक राहत भरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार का कहना है कि हाल ही में सामने आए कोरोना केसेज में डेल्टा प्लस वैरिएंट के ज्यादा मामले नहीं हैं। मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक आज तक इस वैरिएंट के केवल 86 केसेज मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉक्टर एसके सिंह ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में डेल्टा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा प्लस वैरिएंट कम घातक साबित हुआ है।

दुनिया में डेल्टा वैरिएंट है चिंता का सबब

डॉक्टर एसके सिंह ने बताया कि मई के अंत तक डेल्टा वैरिएंट ने बहुत नुकसान पहुंचाया और इसके चलते कोरोना के केसेज बहुत तेजी से बढ़े। तब 90 फीसदी केसेज में डेल्टा वैरिएंट पाया गया था। वहीं इस दौरान मौजूद रहे नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि इस वक्त दुनिया में डेल्टा वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा हैं। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के 37 जिलों में कोविड 19 के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है। संयुक्त सचिव स्वास्थ्य, लव अग्रवाल ने कहा कि हालांकि कोरोना के कुल आंकड़ों में कमी आई है, लेकिन अब भी देश के कुछ हिस्सों में हालात चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि हमें इसे रोकना होगा। 11 राज्यों के विभिन्न जिलों में पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है। इनमें से अधिकतर जिले केरल में हैं। वहीं उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी केसेज में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है।

जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 277 जगहें हुईं चिन्हित

इस बीच सरकार ने बताया है कि देश में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 277 जगहों का चयन किया गया है। इसके जरिए संक्रमण पर शुरुआती दौर में ही लगाम लगाने की उम्मीद जताई जा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 58240 सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग हो चुकी है। डॉ. एसके सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजना है कि कुछ ऐसी जगहें चिन्हित की जाएं जहां हर जिले से सैंपल्स पहुंचें और उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जा सके। उन्होंने कहा कि इस बात का टेस्ट होना चाहिए कि क्या कोई म्यूटेंट आने वाले समय में लोगों पर असर डाल सकता है।

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