IndiGo Crisis: डीजीसीए ने इंडिगो के सीईओ-सीओओ को किया तलब, 3900 रद्द उड़ानों पर मांगेगा जवाब

IndiGo Crisis - डीजीसीए ने इंडिगो के सीईओ-सीओओ को किया तलब, 3900 रद्द उड़ानों पर मांगेगा जवाब
| Updated on: 08-Dec-2025 09:05 PM IST
नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने पिछले छह दिनों में इंडिगो एयरलाइंस की लगभग 3900 उड़ानों के रद्द होने और परिचालन संबंधी गंभीर दिक्कतों के मद्देनजर एक अभूतपूर्व और कठोर कदम उठाया है और डीजीसीए ने इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) को तलब किया है, जिनसे कल सुबह 11 बजे पूछताछ की जाएगी। यह कार्रवाई देश के विमानन नियामक द्वारा यात्रियों को हुई भारी असुविधा, एयरलाइन के परिचालन में लगातार आ रही बाधाओं और सुरक्षा मानकों के संभावित उल्लंघन के जवाब में की गई है। इस संकट ने हजारों यात्रियों को प्रभावित किया है, उनकी यात्रा योजनाओं को बाधित किया है और हवाई यात्रा को लेकर अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे भारतीय विमानन क्षेत्र में एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

इंडिगो के उड़ान संकट का सातवां दिन और गहराता प्रभाव

इंडिगो एयरलाइंस का उड़ान संकट आज सातवें दिन भी जारी रहा, जिससे यात्रियों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। 2 दिसंबर से शुरू हुए इस संकट के कारण आज भी 450 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रहे या उनकी व्यावसायिक और व्यक्तिगत यात्रा योजनाओं में भारी व्यवधान आया। यह लगातार हो रही रद्दियां और देरी न केवल यात्रियों के लिए वित्तीय नुकसान का कारण। बन रही हैं, बल्कि एयरलाइन की विश्वसनीयता और ब्रांड छवि पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। इस संकट ने एयरलाइन के आंतरिक प्रबंधन और परिचालन दक्षता की कमजोरियों को उजागर किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इंडिगो अपनी वर्तमान क्षमता से अधिक उड़ानों का संचालन कर रही थी या उसके पास अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त आकस्मिक योजनाएं नहीं थीं।

डीजीसीए की कठोर कार्रवाई और शीर्ष अधिकारियों को समन

नागर विमानन महानिदेशालय ने इंडिगो के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जो यह दर्शाता है कि नियामक यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। डीजीसीए ने एयरलाइन के सीईओ और सीओओ को तलब किया है ताकि वे इस गंभीर स्थिति के लिए। जवाबदेह ठहराए जा सकें और यह स्पष्ट कर सकें कि इतने बड़े पैमाने पर उड़ानें क्यों रद्द की गईं। यह समन एयरलाइन की ओर से लगातार हो रही परिचालन संबंधी विफलताओं और यात्रियों को हुई असुविधा के बाद आया है। डीजीसीए ने पहले ही इंडिगो को एक शो-कॉज नोटिस जारी किया था और जवाब देने के लिए 24 घंटे की अतिरिक्त मोहलत दी थी, साथ ही चेतावनी दी थी कि यदि तय समय पर संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो एकतरफा कार्रवाई की जाएगी। यह स्पष्ट संकेत है कि नियामक इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है। और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार है।

चार सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन

इस पूरे मामले की गहन और निष्पक्ष जांच के लिए डीजीसीए ने एक चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति कल सुबह 11 बजे इंडिगो के शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ करेगी, जिसमें उनसे संकट के कारणों और समाधानों पर विस्तृत जानकारी मांगी जाएगी। इस समिति का मुख्य उद्देश्य उन परिस्थितियों का आकलन करना है जिनके कारण इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द हुईं और हजारों यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और समिति के सदस्यों में संजय के. ब्रह्मणे (ज्वाइंट डायरेक्टर जनरल), अमित गुप्ता (डिप्टी डायरेक्टर जनरल), कैप्टन कपिल मांगलिक (सीनियर फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टर) और कैप्टन लोकेश रामपाल (फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टर) शामिल हैं। इन अनुभवी अधिकारियों की टीम एयरलाइन के परिचालन संबंधी हर पहलू की। बारीकी से जांच करेगी, जिसमें तकनीकी, मानव संसाधन और नियामक अनुपालन शामिल हैं।

समिति के जांच के प्रमुख बिंदु और संभावित परिणाम

गठित समिति इंडिगो एयरलाइंस के परिचालन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच करेगी। इसमें क्रू प्लानिंग की दक्षता, ऑपरेशनल तैयारी की पर्याप्तता और नए फ्लाइट ड्यूटी नियमों का अनुपालन शामिल है। समिति यह समझने का प्रयास करेगी कि क्या एयरलाइन के पास पर्याप्त क्रू सदस्य थे और क्या उनकी ड्यूटी। रोस्टर नए नियमों के अनुरूप थे, जो पायलटों और केबिन क्रू के लिए अनिवार्य आराम अवधि सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, समिति एयरलाइन की समग्र परिचालन तैयारी का भी मूल्यांकन करेगी, जिसमें विमानों का रखरखाव, तकनीकी स्टाफ की उपलब्धता और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की क्षमता शामिल है। सूत्रों के अनुसार, डीजीसीए इंडिगो के अतिरिक्त रूट को कम करने पर भी विचार कर रहा है। यह कदम एयरलाइन पर परिचालन का बोझ कम करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसे अपनी मौजूदा उड़ानों को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए उठाया जा सकता है। यह संभावित कार्रवाई एयरलाइन की क्षमता से अधिक उड़ानें संचालित करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए एक निवारक उपाय के रूप में देखी जा रही है।

यात्रियों को हुई भारी परेशानी और रिफंड की स्थिति

इंडिगो के इस उड़ान संकट ने हजारों यात्रियों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे उन्हें न केवल वित्तीय नुकसान हुआ है बल्कि मानसिक तनाव और असुविधा का भी सामना करना पड़ा है और कई यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी, जबकि कई अन्य को लंबी देरी का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी व्यावसायिक और व्यक्तिगत योजनाएं बुरी तरह बाधित हुईं। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने रविवार को स्टेकहोल्डर्स के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने स्थिति की समीक्षा की और बताया कि छह दिनों की भारी अफरा-तफरी के बाद अब चीजें धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि इंडिगो ने अब तक रद्द या बहुत ज्यादा लेट हुई फ्लाइट्स के लिए यात्रियों को कुल 610 करोड़ रुपये के रिफंड प्रोसेस कर दिए हैं और यह राशि उन यात्रियों को वापस की गई है जिनकी यात्राएं इस संकट के कारण प्रभावित हुई थीं, हालांकि यह राशि हुई असुविधा, छूटे हुए अवसरों और मानसिक तनाव की पूरी तरह से भरपाई नहीं कर सकती।

इंडिगो का आश्वासन और भविष्य की चुनौतियां

इंडिगो एयरलाइंस ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए यात्रियों से माफी मांगी है और आश्वासन दिया है कि 10 दिसंबर तक परिचालन सामान्य हो जाएगा। हालांकि, डीजीसीए की गहन जांच और संभावित नियामक कार्रवाई के बाद। एयरलाइन को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। डीजीसीए की समिति की रिपोर्ट के आधार पर एयरलाइन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, उसके कुछ रूट रद्द किए जा सकते हैं, या उसे अपनी परिचालन प्रक्रियाओं और क्रू प्रबंधन नीतियों में बड़े संरचनात्मक बदलाव करने पड़ सकते हैं। नियामक का यह सख्त रुख यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी एयरलाइंस यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और नागर विमानन नियमों का पूरी तरह से पालन करें। यह घटना भारतीय विमानन क्षेत्र में परिचालन दक्षता, नियामक अनुपालन और यात्री अधिकारों के महत्व को रेखांकित करती है, जिससे भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए सभी हितधारकों को सतर्क रहने का सबक मिलता है।

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