कोरोना वैक्सीन: भारत में शुरू होगा दूसरे-तीसरे फेस का क्लीनिकल ट्रायल, DGCI ने दी मंजूरी
कोरोना वैक्सीन - भारत में शुरू होगा दूसरे-तीसरे फेस का क्लीनिकल ट्रायल, DGCI ने दी मंजूरी
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Updated on: 03-Aug-2020 09:38 AM IST
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर उम्मीदें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ((Oxford University-Astra Zenec Vaccine) को भारत में क्लीनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है। सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जल्द ही यहां दूसरे और तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल शुरू करेगी। भारत में इस वैक्सीन के डोज तैयार करने का काम सेरम इंस्टीट्यूट ने पहले ही शुरू कर दिया है। बता दें कि ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हैं। अब तक दूसरे देशों में इस वैक्सीन का पहला और दूसरा फेज़ कामयाब रहा है।
दुनिया भर में हो रहे हैं क्लीनिकल ट्रायलपिछले महीने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन का पहला और दूसरा ह्यूमन ट्रायल सफल रहा था। ब्राजील में किए गए ह्यूमन ट्रायल के बेहतरीन नतीजे आए। अप्रैल में इसके पहले फेज के ह्यूमैन ट्रायल शुरू हुए थे। इस दौरान 1112 लोगों पर इसका परीक्षण किया गया। इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल साउथ अफ्रीका और ब्राज़ील में किया गया। अब भारत में तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल किया जाएगा। अब तक शानदार नतीजेट्रायल में शामिल किए गए वॉलंटियर्स में वैक्सीन से वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई। इसके अलावा इसे काफी सुरक्षित भी माना जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि ट्रायल में शामिल लोगों में एंटीबॉडी और व्हाइट ब्लड सेल्स (T-Cells) विकसित हुईं। इनकी मदद से मानव शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सकता है। ज्यादातर वैक्सीन एंटीबॉडी बनाती हैं। वहीं, ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन एंटीबॉडी के साथ व्हाइट ब्लड सेल (Killer T-cell) भी बना रही है।भारत को होगा फायदाऑक्सफोर्ड के इस प्रोजेक्ट में सीरम इंस्टिट्यूट (SII) पार्टनर फर्म है। बता दें कि यहां दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाई जाती है। सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला के मुताबिक दुनिया के 60-70 फीसदी वैक्सीन का उत्पादन यहीं पर होता है। करीब 1।5 बिलियन वैक्सीन के डोज़ यहां हर साल बनते हैं। क्सफोर्ड का प्रोजेक्ट सफल होने पर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया वैक्सीन की 100 करोड़ डोज तैयार करेगी। कहा जा रहा है कि इनमें से 50 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए होगा और 50 प्रतिशत गरीब और मध्यम आय वाले देशों को भेजा जाएगा।23 वैक्सीन रेस मेंंविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इस वक्त दुनिया भर में 140 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें से 23 वैक्सीन ऐसी हैं, जिनके क्नीनिकल ट्रायल चल रहे हैं। वैसे तो किसी वैक्सीन को तैयार करने में सालों लग जाते हैं, लेकिन कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक इन दिनों युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल के आखिर तक या फिर अगले साल के शुरुआत में वैक्सीन की तलाश पूरी हो जाएगी।
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