बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र, जो अपने अभिनय के साथ-साथ अपने विशाल हृदय और अद्वितीय इंसानियत के। लिए भी जाने जाते थे, अब हिंदी सिनेमा के अमर सितारों में दर्ज हो गए हैं। 24 नवंबर को 89 वर्ष की आयु में उनके निधन ने पूरे फिल्म जगत को स्तब्ध कर दिया। उनके जाने के बाद, सोशल मीडिया पर फैंस और फिल्म जगत के कलाकार उन्हें भावुक श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने एक बार फिर यह महसूस। कराया कि वे पर्दे पर ही नहीं, असल जिंदगी में भी कितने महान थे। यह घटना उनके निधन से ठीक पहले की है, जब उन्होंने। अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद दूसरों के दुख में साथ दिया।
धर्मेंद्र की इंसानियत का एक बेहद निजी और छू लेने वाला अनुभव अभिनेता निकितिन धीर ने साझा किया है। निकितिन धीर ने अपनी एक पोस्ट में बताया कि जब उनके पिता, अनुभवी अभिनेता पंकज धीर का 15 अक्टूबर को निधन हुआ था, तब खुद धर्मेंद्र अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। अपनी नाजुक तबीयत और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद, धर्मेंद्र ने वहीं से निकितिन की मां को फोन किया। उन्होंने पंकज धीर के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया, परिवार को ढांढस बंधाया और उन्हें विश्वास दिलाया कि वे जल्द ही स्वस्थ होकर घर लौटेंगे और इतनी गंभीर हालत में भी किसी और के दुख को समझना और उन्हें सांत्वना देना, यही वह बात थी जो धर्मेंद्र को अन्य लोगों से अलग बनाती थी। यह घटना उनकी संवेदनशीलता और दूसरों के प्रति उनकी गहरी सहानुभूति का प्रमाण। है, जिसने उनके प्रशंसकों और सहकर्मियों को एक बार फिर भावुक कर दिया है।
धर्मेंद्र का स्वास्थ्य संघर्ष
निकितिन धीर की इस पोस्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि धर्मेंद्र पिछले कई सप्ताह से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी तबीयत काफी दिनों से खराब चल रही थी, जिसके कारण उन्हें चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता थी। 31 अक्टूबर को उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया। गया था, जहाँ डॉक्टरों की एक टीम उनकी लगातार निगरानी कर रही थी। लगभग दो सप्ताह तक अस्पताल में इलाज के बाद, 12 नवंबर को डॉक्टरों ने उन्हें घर भेज दिया, जहाँ उनकी मेडिकल केयर जारी रही। परिवार लगातार उनकी बेहतर सेहत की उम्मीद में था और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहा था। हालांकि, नियति को कुछ और ही मंजूर था।
एक युग का दुखद अंत
24 नवंबर की सुबह वह खबर आई जिसने पूरे फिल्म जगत को स्तब्ध कर दिया और शोक में डुबो दिया। 89 वर्ष की उम्र में, हिंदी सिनेमा के इस महान सितारे ने अंतिम सांस ली। उनके इस दुनिया को अलविदा कहने के साथ ही हिंदी सिनेमा के एक गौरवशाली अध्याय का समापन हो गया। छह दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय फिल्मों में उन्होंने। जो अमिट छाप छोड़ी, वह किसी विरासत से कम नहीं है। धर्मेंद्र सिर्फ पर्दे पर एक 'हीरो' नहीं थे, वे असल जिंदगी में भी उतने ही सहज, संवेदनशील और लोगों के दुख-सुख में साथ देने वाले इंसान थे। उनकी दयालुता के किस्से अनगिनत हैं और यह हालिया घटना उनकी महानता को और पुष्ट करती है।
एक प्रेरणादायक विरासत
धर्मेंद्र का जाना फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल है। उनकी यादें, उनका अभिनय, उनका व्यक्तित्व और उनकी इंसानियत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। वे हमेशा अपने बड़े दिल और दूसरों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति के लिए याद किए जाएंगे। उनकी विरासत केवल उनकी फिल्मों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके मानवीय मूल्यों और उनके सहज स्वभाव में भी निहित है, जिसने उन्हें लाखों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया।