Kanwar Yatra 2025: ढाबे का नहीं बदलें नाम- मुस्लिमों को भी अपने धर्म पर गर्व- बाबा रामदेव

Kanwar Yatra 2025 - ढाबे का नहीं बदलें नाम- मुस्लिमों को भी अपने धर्म पर गर्व- बाबा रामदेव
| Updated on: 06-Jul-2025 03:48 PM IST

Kanwar Yatra 2025: अगले हफ्ते से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस दौरान कई ढाबा और होटल संचालक अपने प्रतिष्ठानों के नाम बदल लेते हैं, जिसे लेकर योग गुरु स्वामी रामदेव ने कड़ा रुख अपनाया है। हरिद्वार में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “सभी मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू हैं, इसलिए नाम बदलने का कोई मतलब नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने असली नाम के साथ व्यवसाय करना चाहिए। अगर लोग चाहेंगे, तो वे उनके ढाबे या होटल पर आएंगे और खाना खाएंगे। नाम बदलना न केवल व्यावहारिक रूप से गलत है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अनुचित है।”

विवादों में नाम बदलने की प्रथा

पिछले कुछ वर्षों में कांवड़ यात्रा के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ढाबा और होटल संचालकों ने अपने प्रतिष्ठानों के नाम बदलकर व्यवसाय किया। इस प्रथा ने कई बार विवादों को जन्म दिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून कांवड़ मार्ग पर स्थित 'पंडित जी वैष्णो ढाबा' के मालिक ने विवाद बढ़ने के बाद गुरुवार को अपना ढाबा बंद कर दिया। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और उनकी तलाश शुरू कर दी है।

मुजफ्फरनगर के नई मंडी थाने के एसएचओ दिनेश चंद्र ने बताया कि ढाबा मालिक दीक्षा शर्मा, संचालक सनावर और अन्य तीन लोगों के खिलाफ ढाबे के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की पिटाई के लिए मामला दर्ज किया गया है। दीक्षा शर्मा ढाबे की मालिक हैं, जबकि सनावर इसका संचालन करता था। धर्मेंद्र पर ढाबे की जानकारी लीक करने का शक था, जिसके चलते उसकी पिटाई की गई।

रामदेव का धर्म और गर्व पर बयान

स्वामी रामदेव ने इस मुद्दे पर स्पष्ट राय रखते हुए कहा, “जैसे हमें हिंदू होने पर गर्व है, वैसे ही सभी मुसलमानों को अपने धर्म पर गर्व करना चाहिए। नाम बदलकर व्यवसाय करना न तो नैतिक है और न ही व्यावहारिक।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी को अपनी पहचान के साथ गर्व करना चाहिए और छिपाने की बजाय उसे उजागर करना चाहिए।

मराठी-हिंदी विवाद पर भी बोले रामदेव

महाराष्ट्र में चल रहे मराठी और हिंदी भाषा विवाद पर भी स्वामी रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “देश की सभी भाषाओं, जिसमें मराठी भी शामिल है, का सम्मान किया जाना चाहिए। लेकिन भाषा, वर्ग या संप्रदाय के आधार पर हिंदुओं को आपस में नहीं लड़ना चाहिए। इससे सनातन धर्म और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचता है।” उन्होंने एकता और समरसता का संदेश देते हुए सभी से आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने की अपील की।

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