महाशिवरात्रि 2020: शिवलिंग पर शिवरात्रि के दिन भूलकर भी ना चढ़ाएं ये 8 चीजें
महाशिवरात्रि 2020 - शिवलिंग पर शिवरात्रि के दिन भूलकर भी ना चढ़ाएं ये 8 चीजें
|
Updated on: 19-Feb-2020 10:49 AM IST
महाशिवरात्रि 2020: महाशिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव शंकर भगवान की विशेष आराधना की जाती है। इस दिन लोग भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। जटाधारी शिव शंकर को प्रसन्न करने में किसी भी मनुष्य को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को मनाया जा रहा है।शंकर भगवान की पूजा करने की विधि बहुत ही सरल है लेकिन इसमें विशेष सावधानी बरतनी की जरूरत है। भोले शंकर भक्तों पर जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, एक छोटी सी गलती उन्हें नाराज भी कर सकती है। शिव पुराण में भोलेनाथ की पूजा से संबंधित वर्णन मिलता है। आज हम कुछ ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें अगर आप शिवजी पर चढ़ाते हैं तो शिवजी खुश होने के बजाय नाराज हो जाएंगे। शिवजी ही नहीं इन चीजों से विष्णु और लक्ष्मी जी भी नाराज हो जाती हैं इसलिए इन चीजों को शिवजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए।तुलसी को भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं की जाती है। तुलसी को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।तिल या तिल से बनी कोई वस्तु भी भगवान शिव को अर्पित नहीं करनी चाहिए। इसे भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित करना चाहिए।हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ता है। अगर ऐसा आप करती हैं तो इससे आपका चंद्रमा कमजोर होने लगता है और चंद्रमा कमजोर होने से आपका मन चंचल हो जाएगा आप किसी एक चीज में मन लगाकर काम नहीं कर पाएंगे। उबले हुए दूध से शिवलिंग का अभिषेक ना करें। शिवलिंग का अभिषेक सदैव ठंडे जल और कच्चे दूध से करना चाहिए।भगवान शिव को नारियल तो चढ़ा सकते हैं लेकिन नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे धन की हानि होती है। केतकी का फूल भी भगवान शिव को कभी भी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है, इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ता।भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है, शिव की नहीं।
Disclaimer
अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।