Dollar vs Rupee: डॉलर से जुलाई में भी मिली बड़ी हार, क्या रुपए में आ पाएगी जल्द बहार?

Dollar vs Rupee - डॉलर से जुलाई में भी मिली बड़ी हार, क्या रुपए में आ पाएगी जल्द बहार?
| Updated on: 29-Jul-2025 03:20 PM IST

Dollar vs Rupee: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मिड मार्च के बाद अपने सबसे निचले स्तर 86.9150 पर पहुंच गया, हालांकि बाद में यह 0.2 फीसदी की गिरावट के साथ 86.8725 पर स्थिर हुआ। इस गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें यूरो में कमजोरी, डॉलर इंडेक्स में तेजी, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से भारी निकासी शामिल हैं। इसके अलावा, करेंसी ट्रेडर्स और सरकारी बैंकों की ओर से डॉलर की मांग में वृद्धि ने भी रुपये पर दबाव बढ़ाया है। आइए, इन कारणों और रुपये के भविष्य पर विस्तार से नजर डालते हैं।

रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण

  1. अमेरिका-भारत ट्रेड डील में देरी
    भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर वार्ता में ठोस प्रगति नहीं हो रही है। 1 अगस्त की समयसीमा नजदीक आने के बावजूद समझौते की संभावनाएं कमजोर दिख रही हैं, जिससे रुपये पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।

  2. विदेशी निवेशकों की निकासी
    सोमवार को विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की, जो रुपये की कमजोरी का एक प्रमुख कारण है। शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी जा रही है, जिसमें सेंसेक्स पिछले चार कारोबारी दिनों में करीब 2,100 अंक लुढ़क चुका है।

  3. डॉलर की बढ़ती मांग
    करेंसी ट्रेडर्स और सरकारी बैंकों की ओर से डॉलर की मांग में तेजी देखी जा रही है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एडवांस डॉलर पोजीशन की मेच्योरिटी और आईपीओ से संबंधित कैश डॉलर प्रवाह की उम्मीद ने डॉलर-रुपया स्वैप दरों में बढ़ोतरी को बढ़ावा दिया है।

  4. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
    वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत करीब 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई है, जो एक महीने का उच्चतम स्तर है। यह भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है।

  5. डॉलर इंडेक्स में तेजी
    डॉलर इंडेक्स में हाल के दिनों में लगातार उछाल देखा जा रहा है। वर्तमान में यह 99 के स्तर पर कारोबार कर रहा है, जिसमें पिछले पांच दिनों में 1.5% और एक महीने में 2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

  6. यूरो में गिरावट
    यूरो में सोमवार को 1% से अधिक की गिरावट देखी गई, और यह अंततः 1.1584 पर कारोबार कर रहा है। यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर नकारात्मक धारणा ने भी रुपये सहित अन्य एशियाई मुद्राओं को प्रभावित किया है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा, "रुपया कमजोर रुख के साथ खुला और इस सप्ताह 86.90 के एक महीने के निचले स्तर को छू सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर रुपये की रक्षा करता दिख रहा है, लेकिन उसने धीरे-धीरे और लगातार गिरावट को स्वीकार किया है। शेयर बाजार भी रुपये के लिए सहायक नहीं रहा है।"

क्या मिल सकती है राहत?

एमयूएफजी के एक नोट के अनुसार, नेट शॉर्ट डॉलर पोजीशन के अत्यधिक कम होने के संकेतों के साथ, निकट भविष्य में अमेरिकी डॉलर में कुछ राहत मिल सकती है। बुधवार को होने वाले फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले पर भी बाजार की नजर रहेगी। यदि फेडरल रिजर्व नरम रुख अपनाता है, तो डॉलर में कमजोरी आ सकती है, जिससे एशियाई मुद्राओं, विशेष रूप से रुपये, को कुछ समर्थन मिल सकता है।

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