कोरोना पर बोले स्वास्थ्य मंत्री: कोरोना ने हमें देश के लिए मजबूत स्वास्थ्य ढांचे पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया है — डॉ. हर्षवर्धन

कोरोना पर बोले स्वास्थ्य मंत्री - कोरोना ने हमें देश के लिए मजबूत स्वास्थ्य ढांचे पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया है — डॉ. हर्षवर्धन
| Updated on: 17-Aug-2020 08:39 PM IST
  • डॉ. हर्ष वर्धन ने डिजिटल माध्यम से सीआईआई पब्लिक हैल्थ कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को किया संबोधित
नई दिल्ली | केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने दो दिवसीय सीआईआई पब्लिक हैल्थ कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र की वर्चुअल माध्यम से अध्यक्षता की। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के. पॉल ने भी डिजिटल माध्यम से इसमें भाग लिया। इस अवसर पर स्वास्थ्य और “सीआईआई टीबी मुक्त कार्यस्थल अभियान” पर एक वर्चुअल प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया और उनकी उपस्थिति में “सीआईआई सार्वजनिक स्वास्थ्य रिपोर्ट” का भी विमोचन किया गया।


कोविड महामारी के बीच इस कार्यक्रम के आयोजन पर सीआईआई को धन्यवाद देते हुए उन्होंने दर्शकों को याद दिलाया कि “इस महामारी ने हमें अपने देश के लिए एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे पर पुनर्विचार करने और संरचनात्मक रूप से फिर से कल्पना करने का अवसर दिया है।” स्वास्थ्य के प्रति इस बड़े जोखिम के रोकथाम और उपचार में भारत की सफल रणनीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने देश की सरकारी योजनाओं को एक व्यापक सामाजिक आंदोलन में तब्दील करने की क्षमता की सराहना की, जिससे “ऐसे दौर में भारत से चेचक और पोलियो का पूर्ण उन्मूलन हुआ, जब भारत पोलियो के वैश्विक मामलों में 60 प्रतिशत अंशदान करता था।” उन्होंने उम्मीद जताई कि दिग्गज उद्योगपतियों और सीआईआई की सहायता से “प्रधानमंत्री का भारत को 2025 तक तपेदिक मुक्त बनाने का लक्ष्य भी इसी तरह हासिल हो जाएगा।”


एनसीटी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपने अनुभवों को साझा किया, जब उन्होंने थोड़े से धन, लेकिन प्रमुख उद्योगपतियों के समर्थन और उत्साह के साथ पोलियो के उन्मूलन का अभियान आयोजित किया था। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि वह “देश से तपेदिक (ट्यूबरकुलोसिस बेसिली) के उन्मूलन के लिए भी उसी तरह के उत्साह और प्रतिबद्धता” को देख रहे हैं।


टीबी मुक्त कार्यस्थल अभियान पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि “टीबी के 26.4 लाख मामलों के साथ भारत की वैश्विक स्तर पर टीबी के मामलों में बड़ी हिस्सेदारी है। जीवन, धन और मानव दिवस के नुकसान के रूप में टीबी का आर्थिक बोझ काफी ज्यादा पड़ता है, क्योंकि यह गरीब आबादी को खासा प्रभावित करता है जो अस्वास्थ्यकर स्थितियों में रहते हैं और कम कैलोरी के साथ जीवनयापन करते हैं।” उन्होंने इस समस्या को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया पर अपने विचार रखते हुए कहा, “भारत में टीबी के लिए संसाधनों के आवंटन में पिछले पांच साल में चार गुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। प्रधानमंत्री ने 2014 में कार्यभार संभालने के बाद से ही टीबी के मामले पता लगाने के लिए व्यापक सर्वेक्षण की शुरुआत की थी।” उन्होंने कहा कि टीबी का हर मरीज और यहां तक कि बहु दवा प्रतिरोधी टीबी से पीड़ित लोगों का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है, जिसकी पूरी लागत का वहन सरकार करती है। वहीं टीबी के मामलों की सूचना देने के लिए चिकित्सकों को प्रोत्साहित किया जाता है।


केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने विश्वास जाहिर कहते हुए कहा कि सरकार के आयुष्मान भारत के माध्यम से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहन दिए जाने से इसी प्रकार काला-अजार और कुष्ठ जैसी बीमारियों का उन्मूलन होगा, साथ ही मातृ मृत्यु दर घटकर शून्य के स्तर पर आ जाएगी।


अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य उपचार उपलब्ध होने से कैसे “ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में क्रांतिकारी विस्तार हुआ है।” उन्होंने कहा, “दूरस्थ चिकित्सा के व्यापक उपयोग से ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन प्लेटफॉर्म पर 1.5 लाख परामर्श दर्ज किए जा चुके हैं।”


इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सीआईआई पब्लिक हैल्थ काउंसिल के चेयरमैन के रूप में और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक श्री चंद्रजित बनर्जी भी डिजिटल माध्यम से उपस्थित रहे।

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