मंनोरजन: ऑस्कर अवॉर्ड्स में एंट्री लेना नही है इतना आसान, आता है इतना खर्च
मंनोरजन - ऑस्कर अवॉर्ड्स में एंट्री लेना नही है इतना आसान, आता है इतना खर्च
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Updated on: 07-Feb-2020 10:28 AM IST
92वें ऑस्कर अवॉर्ड्स को लेकर दुनिया भर के सिनेप्रेमियों में काफी उत्साह है। भारत की तरफ से ऑफिशियल ऑस्कर एंट्री फिल्म गली बॉय ऑस्कर की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकी है। ये फिल्म ऑस्कर की टॉप 10 फिल्मों में जगह बनाने में नाकाम रही। ऑस्कर अवॉर्ड्स के इतिहास में केवल तीन ही मौके ऐसे रहे हैं जब कोई भारतीय फिल्म टॉप 5 में जगह बनाने में कामयाब रही है। जाहिर है, ऑस्कर जीतना एक जटिल और खर्चीली प्रक्रिया है। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि बेहद मजबूत मार्केटिंग प्लान और प्रमोशनल कैंपेन के सहारे ही किसी भी फिल्म को फायदा पहुंच सकता है। साल 2015 में फिल्म कोर्ट ऑस्कर के लिए ऑफिशियल एंट्री थी। इस फिल्म के डायरेक्टर चैतन्य तम्हाने ने इस बारे में बात करते हुए कहा था कि ये ऐसा ही है जब आपको अपनी फिल्म भारत में रिलीज करनी होती है। आपको अपनी फिल्म का बज़ क्रिएट करना होता है और लोगों को ये बताना होता है कि आपके देश से ऑफिशियल एंट्री आपकी फिल्म है। एंट्री होने के बाद भी ऑस्कर जीतने के लिए होती है कड़ी मशक्कत कई इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि ऑस्कर में एंट्री का खर्चा लगभग 15-20 लाख से लेकर कई करोड़ों तक भी पहुंच सकता है और ये सिर्फ एंट्री के लिए होता है और ऑस्कर जीतने के लिए हर फिल्म को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। फिल्ममेकर कुमार राज ने इस बारे में कहा था कि आपको लॉस एंजेलेस में अक्टूबर में जाकर अपना कैंप लगाना होता है और वहां कम से कम फरवरी तक तो रहना होता है। उन्होंने ये भी कहा कि कई मेकर्स की ये कोशिश भी होती है कि वे इस दौरान एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस के पास ही कमरा बुक करें, ऑडिटॉरियम वगैरह किराए पर लें और वहां अपनी फिल्म को स्क्रीन कराते रहे और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी फिल्म दिखाते रहें।
इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण काम ये है कि आपको एकदम सही पब्लिसिटी टीम चुननी होती है। कई बार टॉप पब्लिसिटी आपकी मूवी को प्रमोट करने के लिए 10 करोड़ तक चार्ज कर सकते हैं। ऑस्कर कैंपेन के लिए काम कर चुके एक स्टूडियो एक्जक्यूटिव ने इस बारे में बात करते हुए कहा था- आपकी फिल्म को काफी फायदा पहुंचता है अगर आप ऐसे एक्सपर्ट का चुनाव करें जो वहां की प्रेस सर्किट के बारे में जानता हो और वहां पूरे साल फिल्मों के कैंपेन चलाता हो। कई ऐसे लोग भी हैं जो फॉरेन फिल्म कैटेगिरी में विशेषज्ञ होते हैं। ऐसे में किसी भी फिल्म का वहां की प्रेस और ऑडियन्स के बीच बज़ बनवाने का काम ये एक्सपर्ट्स करते हैं।'गौरतलब है कि इससे पहले साल 2001 में आई फिल्म लगान ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। आमिर खान की ये फिल्म लगभग 80 फिल्मों की लिस्ट में टॉप 5 में जगह बनाने में कामयाब रही थी लेकिन इसके बाद साल-दर-साल फिल्में रिलीज होती रही हैं लेकिन ऑस्कर अवॉर्ड्स की टॉप लिस्ट में जगह बनाने में नाकाम रही है।
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