राजस्थान कांग्रेस में खिंचीं तलवारें: लगा सबकुछ खत्म हो गया, प्रियंका की हुई एंट्री और बची रह गई पायलट-राहुल की दोस्ती
राजस्थान कांग्रेस में खिंचीं तलवारें - लगा सबकुछ खत्म हो गया, प्रियंका की हुई एंट्री और बची रह गई पायलट-राहुल की दोस्ती
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Updated on: 10-Aug-2020 04:46 PM IST
जयपुर: राजस्थान के सियासी ऊठापटक में सोमवार को नया मोड़ देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी सियासी घमासान में लग रहा था कि अब पार्टी में टूट तय है, लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की कोशिश से सारा खेल बदलता हुआ दिख रहा है। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी की सलाह पर ही सचिन पायलट और राहुल गांधी सोमवार को मिले और राजस्थान के सियासी झगड़े को सुलझाने पर बात की है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि प्रियंका की कोशिश से सचिन पायलट सुलह को तैयार हो गए हैं और पार्टी में वे बने रहेंगे।लगा था सबकुछ खत्म हो गया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दो बार विधायक दल की बैठक में बुलाए जाने के बाद भी सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया। पायलट की जगह गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठा दिया गया।इतना ही नहीं, सीएम अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में सचिन पायलट को नकारा तक कहकर संबोधित किया और कई निजी हमले किए। इसके बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी दोनों पक्षों के बीच अच्छा खासा दो-दो हाथ हुए। इतना सबकुछ होने के बाद लग रहा था कि सचिन पायलट पर पार्टी कोई ढील देने के मूड में नहीं है। पायलट की राहुल से मुलाकात से गहलोत खेमे में मची खलबलीइसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस के दोनों नेताओं ने बैठक की। माना जा रहा है कि दोनों ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों तथा आगे के कदमों के बारे में चर्चा की।ऐसी खबरे हैं, पायलट एक बार फिर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं और जल्द ही कोई समाधान निकल सकता है। हालांकि, पायलट खेमे और कांग्रेस की तरफ से इसकी आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका और राहुल की इसी मुलाकात के बाद राहुल गांधी सचिन पायलट से मिले हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने बीच का हल निकाल लिया है, जिसकी घोषणा जल्द हो सकती है। अहमद पटेल को मिला बीच का रास्ता निकालने का जिम्माराजस्थान के राजनीतिक हलकों में सोमवार को सचिन पायलट द्वारा किए गए विद्रोह से उत्पन्न हुए संकट के समाधान को लेकर खासी चर्चा रही। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी के अनुभवी नेता अहमद पटेल उस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं, जिसने पायलट खेमे की बगावत से राज्य में अशोक गहलोत सरकार का अस्तित्व को खतरे में पड़ गया था। कांग्रेस ने इस वाकये के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया था। रविवार की रात जैसलमेर के एक होटल में ठहरे गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायकों की बैठक में विद्रोहियों को पार्टी में वापस लेने को लेकर मिश्रित विचार सामने आए। कुछ विधायकों ने बागी खेमे के नेताओं को वापस लेने के लिए कहा, वहीं कुछ इसके पक्ष में नहीं थे। इस बीच राज्य के नेताओं की दिल्ली में चल रही सुगबुगाहट पर भी पैनी नजर है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने आईएएनएस से पुष्टि की है कि राजस्थान के कुछ मंत्रियों को पायलट और उनके वफादार विधायकों को फिर से पार्टी से जोड़ने को लेकर बैठक करने के संकेत मिले थे। विधानसभा सत्र से पहले एका की उम्मीद14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र आरंभ होगा जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत साबित करने का प्रयास करेंगे। उधर, पायलट और बागी विधायकों के साथ बातचीत और सुलह के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा है और आज भी कह रहे हैं कि अगर पायलट और दूसरे बागी विधायक सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के लिए माफी मांग लें तो पार्टी उन्हें फिर से अपनाने पर विचार कर सकती है।’मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत करने और विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया था। बागी रुख अपनाने के साथ ही पायलट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। उनके समर्थक विधायकों का कहना है कि वे गहलोत के नेतृत्व में काम करने के इच्छुक नहीं हैं। पिछले कई हफ्तों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने बार-बार दोहराया है कि अशोक गहलोत सरकार के पास 100 से अधिक विधायकों का समर्थन है और उसके ऊपर कोई खतरा नहीं है।
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