120 Bahadur: फरहान अख्तर ने 'लक्ष्य' के पीछे की बताई भावुक कर देने वाली कहानी, 21 साल बाद सामने आया सच

120 Bahadur - फरहान अख्तर ने 'लक्ष्य' के पीछे की बताई भावुक कर देने वाली कहानी, 21 साल बाद सामने आया सच
| Updated on: 17-Nov-2025 05:57 PM IST
फरहान अख्तर, जो इन दिनों अपनी आगामी वॉर ड्रामा '120 बहादुर' के प्रचार में व्यस्त हैं, हाल ही में रियेलिटी शो 'इंडियन आइडल' के मंच पर पहुंचे। अपनी नई फिल्म के म्यूजिक एल्बम लॉन्च के बाद, फरहान ने दर्शकों। और प्रतियोगियों के साथ एक बेहद निजी और भावुक पल साझा किया। उन्होंने अपनी 21 साल पहले रिलीज हुई प्रतिष्ठित फिल्म 'लक्ष्य' के निर्माण के पीछे की अनकही कहानी बताई, जिसने सभी को भावुक कर दिया।

बादशाह का सवाल और फरहान का जवाब

'इंडियन आइडल' के मंच पर कंटेस्टेंट श्रीनिधि की एक भावुक परफॉर्मेंस के बाद, माहौल पहले से ही गहरा हो चुका था। इसी दौरान, फरहान अख्तर ने अपनी सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक, 'लक्ष्य' को बनाने के पीछे की सच्ची वजह का खुलासा किया। उनके इस खुलासे ने न केवल मंच पर मौजूद सभी लोगों को बल्कि दर्शकों को भी। एक ऐसे फिल्ममेकर के दिल तक पहुंचा दिया, जो सिनेमा की शक्ति में विश्वास रखता है। यह पहली बार था जब इस फिल्म के पीछे की असली प्रेरणा सार्वजनिक रूप से साझा की गई।

श्रीनिधि की परफॉर्मेंस के बाद, जब तालियों की गड़गड़ाहट शांत हुई, तो शो के होस्ट बादशाह ने फरहान अख्तर से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा। उन्होंने पूछा, “क्या आपने ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाई थी? या फिर इसके पीछे ये भावना भी थी कि आपको देश के लिए कुछ करना है? ” फरहान के जवाब ने पूरे स्टूडियो को कुछ पल के लिए बिल्कुल शांत कर दिया। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि इस सवाल के दो हिस्से हैं। उनके अनुसार, देशभक्ति एक ऐसी भावना है जो हर व्यक्ति के अंदर स्वाभाविक रूप से पैदा होती है, खासकर जब वे अपने माता-पिता के काम और देश के प्रति उनके प्यार को देखते हैं। यह भावना धीरे-धीरे बच्चों में भी बस जाती है।

देशभक्ति की सच्ची परिभाषा

फरहान अख्तर ने देशभक्ति की अपनी अनूठी परिभाषा प्रस्तुत की। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी नजर में देशभक्ति कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे जोर-जोर से बोलकर या दिखावा करके व्यक्त किया जाए। इसके बजाय, यह एक गहरा एहसास है, जिसके साथ व्यक्ति ईमानदारी और कड़ी मेहनत से अपना जीवन जीता है, और यह सब अपने देश के लिए होता है। यह एक आंतरिक भावना है जो व्यक्ति के कार्यों और समर्पण में परिलक्षित होती है, न कि केवल शब्दों में। उनके इस विचार ने दर्शकों को देशभक्ति के एक नए और अधिक सार्थक पहलू से परिचित कराया।

कारगिल यात्रा और प्रेरणा का स्रोत

फरहान ने फिर उस महत्वपूर्ण घटना का जिक्र किया जिसने 'लक्ष्य' की पूरी अवधारणा को आकार दिया। उन्होंने बताया कि यह फिल्म उस समय बनी थी जब 1999 में 'ऑपरेशन विजय' हुआ था, जो कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है। 2001 में, उनके पिता, प्रसिद्ध गीतकार और लेखक जावेद अख्तर कारगिल गए थे और वहां उन्होंने शहीद जवानों के लिए बनाए गए एक मेमोरियल का दौरा किया। इस दौरे के दौरान, एक सैन्य अधिकारी ने जावेद अख्तर से बातचीत की, जिसने फिल्म की नींव रखी।

अधिकारी की चिंता और जावेद अख्तर का संकल्प

कारगिल में उस सैन्य अधिकारी ने जावेद अख्तर से कहा था कि दुनिया भर में लोग भारतीय सेना की बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने उन पहाड़ों में असंभव लगने वाले काम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अधिकारी ने जोर देकर कहा कि दुनिया की बहुत कम सेनाएं ऐसी असाधारण उपलब्धि हासिल कर सकती हैं। हालांकि, अधिकारी ने एक दुखद बात भी साझा की। उन्होंने बताया कि हर साल कम युवा अधिकारी बनने के लिए आवेदन कर रहे हैं और उन्हें अब सेना में करियर एक ठीक विकल्प नहीं लगता। इस चिंताजनक जानकारी ने जावेद अख्तर को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने उस अधिकारी से कहा कि वह एक ऐसी कहानी लिखना चाहते हैं, जिससे युवा भारतीय सेना में शामिल होने की प्रेरणा पाएं।

'लक्ष्य' की कहानी का जन्म

जावेद अख्तर के इसी संकल्प और अनुभव ने 'लक्ष्य' की कहानी लिखने की वजह बनी और फरहान ने बताया कि उनके पिता ने उस अधिकारी की बात को गंभीरता से लिया और एक ऐसी पटकथा तैयार करने का बीड़ा उठाया जो युवाओं के मन में देश सेवा का जज्बा जगा सके। यह फिल्म केवल मनोरंजन का साधन नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक संदेश और प्रेरणा का माध्यम भी थी और 'लक्ष्य' ने एक युवा लड़के के सफर को दर्शाया, जो अपने जीवन में उद्देश्यहीन था, लेकिन अंततः भारतीय सेना में शामिल होकर अपने जीवन का 'लक्ष्य' पाता है।

सिनेमा की शक्ति और संदेश

फरहान अख्तर ने आगे कहा कि उस अनुभव के बाद, उन्होंने जो भी फिल्में चुनीं, चाहे। वह 'भाग मिल्खा भाग' हो या उनकी नवीनतम '120 बहादुर', उनमें एक बात हमेशा समान रही है। वह मानते हैं कि सिनेमा के पास एक शक्तिशाली संदेश देने की क्षमता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी आजादी का सम्मान करना चाहिए, उससे प्यार करना चाहिए और कभी नहीं भूलना चाहिए कि यह आजादी कितनी बड़ी कीमत पर मिली है। फरहान का यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि वह केवल एक फिल्म निर्माता नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे कलाकार हैं जो अपनी कला के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं। 'इंडियन आइडल' सीज़न 16, जहां हर आवाज एक सफर, एक मकसद और एक अटूट जुनून। के साथ आगे बढ़ती है, के मंच पर यह कहानी उसी जज्बे से मेल खाती है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।