देश: लंबे घमासान के बाद कृषि कानूनों पर नहीं हुआ कोई फैसला, किसान नेता ने कहा- जारी रहेगा आंदोलन

देश - लंबे घमासान के बाद कृषि कानूनों पर नहीं हुआ कोई फैसला, किसान नेता ने कहा- जारी रहेगा आंदोलन
| Updated on: 01-Dec-2020 07:58 PM IST
नई दिल्ली | लंबे घमासान के बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों पर मंगलवार को बैठक हुई। करीब चार घंटे तक चली ये बैठक बेनतीजा रही। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस बातचीत में कोई फैसला नहीं निकलने के बाद अब अगली बैठक 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे होगी। आज की बैठक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ बातचीत अच्छी रही। हमने 3 दिसंबर को फिर से बातचीत करने का फैसला लिया है।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते हैं कि छोटे संगठन बनें, लेकिन किसान नेताओं की मांग है कि हर किसान से बातचीत होनी चाहिए। कृषि मंत्री ने कहा कि हमें हरेक किसान से बात करने में कोई परेशानी नहीं है। नरेंद्र सिंह तोमर ने साथ ही किसानों से आंदोलन खत्म करने की मांग भी की। 

उधर, सरकार के साथ बातचीत का हिस्सा रहे किसान नेता चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम सरकार से कुछ तो जरूर वापस लेंगे, चाहे वो बुलेट हो या शांतिपूर्ण समाधान। उन्होंने कहा कि हम बातचीत के लिए फिर आएंगे। 

वहीं, अखिल भारतीय किसान महासंघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने कहा कि आज की बैठक अच्छी रही। सरकार के साथ 3 दिसंबर को अगली बैठक के दौरान, हम उन्हें समझाएंगे कि कृषि कानून का कोई भी किसान समर्थन नहीं करता है। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

'नए कानून किसानों के लिए डेथ वारंट हैं'

इससे पहले, किसानों के साथ बैठक में APMC Act and MSP पर सरकार की तरफ से प्रेजेंटेशन दिया गया। सरकार किसानों को MSP पर समझाने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में एक किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर हैं। और उन्होंने मांग की कि सरकार को इसे वापस लेने पर विचार करना चाहिए। 

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से बैठक में कहा कि 4 से 5 नाम अपने संगठन से दीजिए, एक समिति बना देते हैं जिसमे सरकार के लोग भी होंगे, कृषि एक्सपर्ट भी होंगे, नए कृषि कानून पर चर्चा करेंगे। किसानों को समिति पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि जबतक समिति कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती और कुछ ठोस बात नहीं निकलती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने ये भी प्रस्ताव दिया है कि समिति रोजाना बैठकर चर्चा करने को तैयार है, ताकि जल्द नतीजा निकल सके। सूत्रों के मुताबिक, एक किसान प्रतिनिधि ने कहा कि ये नए कानून किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि आप (सरकार) लोग ऐसा कानून लाए हैं, जिससे हमारी जमीने बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे, आप कॉरपोरेट को इसमे मत लीजिए। अब समिति बनाने का समय नहीं है। आप कहते हैं कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं कि आप हमारा भला मत कीजिए।

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