Share Market News: विदेशी निवेशकों ने नहीं दिया साथ, मार्केट फिर भी रहा सदाबहार

Share Market News - विदेशी निवेशकों ने नहीं दिया साथ, मार्केट फिर भी रहा सदाबहार
| Updated on: 25-May-2025 07:30 AM IST

Share Market News: वित्तीय वर्ष 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफआईआई) की ओर से भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली है। बीते सप्ताह एफआईआई ने 11,591 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जो कि बाजार की अस्थिरता और वैश्विक अनिश्चितताओं की ओर संकेत करती है। इस वर्ष अब तक एफआईआई ने कुल 98,516 करोड़ रुपये के शेयर बाजार से पैसे निकाले हैं। इसके बावजूद, भारतीय बाजार ने स्थिरता दिखाई है, जिसका श्रेय घरेलू निवेशकों को जाता है।

एफआईआई की गतिविधियां और बाजार की प्रतिक्रिया

एफआईआई ने जनवरी में सबसे ज्यादा 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, उसके बाद फरवरी में 34,574 करोड़ रुपये, मार्च में 3,973 करोड़ रुपये और अप्रैल में मामूली खरीदारी करते हुए 4,223 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। बीते शुक्रवार को हालांकि एफआईआई ने 1,794.59 करोड़ रुपये की खरीदारी की, जिससे यह संकेत मिला कि बाजार में कुछ अवसरों को वे अभी भी भुनाना चाह रहे हैं। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी 299.78 करोड़ रुपये की खरीदारी की, जिससे बाजार को सपोर्ट मिला।

वैश्विक घटनाओं का प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एप्पल पर संभावित 25% टैरिफ लगाने की धमकी ने वैश्विक बाजारों को झटका दिया। अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट आई, और इसका असर भारतीय बाजारों पर भी सोमवार को दिख सकता है। वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध, डॉलर की मजबूती, और बॉन्ड बाजार की अनिश्चितता जैसे कारकों ने एफआईआई की धारणा पर नकारात्मक असर डाला है।

बिकवाली के कारण

क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के शोध प्रमुख सौरभ पटवा का कहना है कि भारत में एफआईआई की दिलचस्पी घटने के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं। इनमें कमजोर कॉर्पोरेट आय, आम चुनावों से जुड़ी अनिश्चितताएं और शहरी खपत में गिरावट प्रमुख हैं। साथ ही, वैश्विक स्तर पर व्यापारिक तनाव, नीतिगत अस्पष्टता, और प्रमुख कॉर्पोरेट निर्णयों में देरी ने निवेशकों की बेचैनी बढ़ाई है।

भविष्य की संभावनाएं

हालांकि बाजार में बिकवाली की लहर रही, लेकिन पटवा का मानना है कि इस तरह की तीव्र गिरावट के बाद अक्सर तेज़ रिकवरी होती है। हाल के हफ्तों में विदेशी निवेशकों की नई रुचि के संकेत भी देखने को मिले हैं। भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती, उसकी तेजी से बढ़ती जीडीपी और दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं विदेशी निवेशकों को फिर से आकर्षित कर सकती हैं।

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