Modi-Jinping Meeting: धोखे से दोस्ती तक...भारत-चीन के रिश्ते 5 साल में कितने बदले?

Modi-Jinping Meeting - धोखे से दोस्ती तक...भारत-चीन के रिश्ते 5 साल में कितने बदले?
| Updated on: 23-Oct-2024 11:12 AM IST
Modi-Jinping Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरे का दूसरा दिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बना है। पीएम मोदी रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं, और इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होना है। इस द्विपक्षीय वार्ता पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह मुलाकात 5 साल बाद हो रही है। इन वर्षों में भारत और चीन के बीच रिश्तों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, जिनमें सीमा विवाद से लेकर सैन्य झड़पों तक की घटनाएं शामिल हैं।

मोदी-जिनपिंग की 5 साल बाद द्विपक्षीय वार्ता

2019 के बाद यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। 2019 में शी जिनपिंग ने भारत का दौरा किया था, और दोनों नेता महाबलीपुरम में एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में मिले थे। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही चीन ने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर सैन्य गतिरोध शुरू कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में गहरा तनाव आ गया। 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प ने इस तनाव को और बढ़ा दिया।

भारत-चीन सीमा विवाद की कहानी

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास लंबा और जटिल है, लेकिन हाल के वर्षों में यह विवाद और भी गंभीर हो गया है। 5-6 मई 2020 को पैंगोंग झील के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में घातक झड़प हुई। इन घटनाओं के बाद से ही दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य और राजनयिक बातचीत चलती रही है। हाल ही में, अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने LAC पर गश्त को लेकर समझौता किया है, जो कि 4 साल से चल रहे गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वार्ता से पहले समझौता

प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त करने के मुद्दे पर एक समझौते को अंतिम रूप दिया। इस समझौते के तहत दोनों देश अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमत हुए हैं, जिससे सीमा पर तनाव कम होने की उम्मीद है। इस समझौते को द्विपक्षीय वार्ता की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह उन घटनाओं के बाद आया है जिनसे दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी हो गई थी।

समझौते के मायने

LAC पर हुए इस समझौते के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। एक तरफ, यह सीमा पर शांति बनाए रखने और भविष्य में सैनिकों के टकराव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर, यह दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा विवाद को पूरी तरह से सुलझाने के लिए अभी और बातचीत की आवश्यकता होगी।

मोदी-जिनपिंग मुलाकात: भविष्य की संभावनाएं

2014 से 2020 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की 18 मुलाकातें हो चुकी हैं, जिनमें कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ताएं की थीं। हालांकि, 2020 के बाद से दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। अब, 5 साल बाद हो रही इस वार्ता से उम्मीद है कि भारत और चीन के बीच तनाव कम होगा और सीमा विवाद पर स्थायी समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

इस मुलाकात का वैश्विक महत्व भी है, क्योंकि भारत और चीन दोनों ही प्रमुख आर्थिक शक्तियां हैं और दोनों के बीच स्थिरता और सहयोग से एशिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दोनों देशों के बीच गहरे संबंध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यापारिक और सांस्कृतिक भी हैं।

इसलिए, यह द्विपक्षीय वार्ता सिर्फ भारत-चीन संबंधों के पुनर्निर्माण के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को स्थिर करने के लिए भी अहम मानी जा रही है।

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