राजस्थान: गहलोत सिर्फ घोषणावीर, बजट में किसानों और युवाओं के साथ छलावा: डॉ सतीश पूनियां

राजस्थान - गहलोत सिर्फ घोषणावीर, बजट में किसानों और युवाओं के साथ छलावा: डॉ सतीश पूनियां
| Updated on: 21-Feb-2020 05:56 PM IST
जयपुर। राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट हताशा, निराशा, उत्साहहीन, दिशाहीन और थोथी घोषणाओं वाला है। कांग्रेस सरकार ने पिछले बजट में जो घोषणाएं की थी, वह सिर्फ कागजों और विज्ञापनों में ही दिखाई देती हैं, उनकी धरातल पर क्रियान्विति नहीं हुई। इसी तरह यह बजट भी कोरा कागज़ ही सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि यह बजट कांग्रेस सरकार के मानसिक, वैचारिक और आर्थिक दिवालियापन को दर्शाता है, जो एक गोलमोल बजट प्रतीत होता है और गहलोत घोषणावीर लगते हैं जो सिर्फ कागजों में घोषणाओं का रिकॉर्ड बना रहे हैं, धरातल पर क्रियान्वयन करने में फिसड्‌डी साबित हो रहे हैं।

पूनियां ने कहा कि किसानों की कर्जा माफी और बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा करने के बाद भी इसको लागू करने में सरकार असफल रही। वहीं प्रदेश में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है, अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। अपराध की रोकथाम के लिए कानून व्यवस्था दुरुस्त हो, इसके लिए बजट में किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की गई। कर्जा माफी का झूठा वादा करके किसानों का कर्जा माफ नहीं किया गया जिसके कारण प्रदेश के कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस सरकार ने इस बजट में उनको राहत देने की कोई बात नहीं कही।

उन्होंने कहा कि 10 लाख युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करने वाली सरकार, केवल डेढ़ लाख बेरोजगारों को भत्ता देकर अपने वादे से मुकर चुकी है और युवाओं को रोजगार देने में भी असफल रही, इस कारण प्रदेश का युवा रोजगार के लिए आंदोलन करने को मजबूर है।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि घोषणा पत्र में प्रदेश की जनता से बिजली की दरों को नहीं बढ़ाने का वादा किया गया, लेकिन यूटर्न लेकर गहलोत ने एक साल में ही बिजली की दरों को बढ़ा दिया और आज बजट में भी बिजली की दरों में राहत देने का कोई उल्लेख नहीं किया। पुलिस का आधुनिकीकरण कैसे हो, उनको नए संसाधन कैसे दिए जाएं, पुलिस का मनोबल किस तरह बढ़े, इसे लेकर भी सरकार की कार्ययोजना और बजट का ना होना बहुत निराशाजनक है।

डॉ पूनियां ने कहा कि पीएससी, सीएससी और सब सेंटर की जनता में इनकी बड़ी मांग है। उन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार ने बजट में कुछ नहीं किया। कांग्रेस की फितरत है टाइटल बदलना, नाम बदलना और भाजपा की सरकारों की योजनाओं को अपनी योजना बता देना। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी और विवेकानंद जी का सभी सम्मान करते हैं। विवेकानंद जी के नाम पर जो मॉडल स्कूल खुले थे, वह बहुत ही अच्छे चल रहे हैं लेकिन इस सरकार ने विवेकानंद मॉडल स्कूल का नाम बदलकर अब महात्मा गांधी मॉडल स्कूल कर दिया है। इससे जनता को क्या फायदा होगा? एक लोक कल्याणकारी सरकार जिस तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर का, डेवलपमेंट का, बुनियादी विकास का कमिटमेंट करती है वो इस बजट में नदारद है।

इस बजट में नए कॉलेज खोलने की कोई घोषणा नहीं हुई। बजट में रिफाइनरी पर महज लीपापोती हुई और प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे राजस्थान की शक्ल और सूरत बदल जाए। यह जो बजट है, बहुत सारी योजनाओं पर तो केंद्र पर निर्भर है जबकि कांग्रेस सरकार तोहमत भी लगाएगी तो केंद्र पर, उम्मीद भी केंद्र सरकार से रखेगी।  प्रदेश सरकार के जो वित्तीय प्रबंधन हैं, उसके बारे में किसी भी तरीके का कोई इंतजाम नहीं है। किसी भी दिशा से यह बजट प्रदेश की आम जनता की अपेक्षाओं का बजट नहीं है।

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