बेंगलुरु: विक्रम लैंडर को लेकर आज मिल सकती है अच्छी खबर, नासा का एलआरओ भेजेगा विक्रम की तस्वीरें

बेंगलुरु - विक्रम लैंडर को लेकर आज मिल सकती है अच्छी खबर, नासा का एलआरओ भेजेगा विक्रम की तस्वीरें
| Updated on: 17-Sep-2019 10:24 AM IST
चांद पर बेसुध पडे चंद्रयान-2 के लैँडर विक्रम को लेकर मंगलवार को कोई नई और अच्छी सूचना मिल सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का प्रोब मिशन मंगलवार को चांद के उस हिस्से के ऊपर से गुजरेगा, जहां पर विक्रम पड़ा हुआ है। विक्रम चांद की सतह पर अपने उतरने वाली तय जगह से महज 335 मीटर की दूरी पर पड़ा हुआ है। इस बीच, सात सितंबर को हुई हार्ड लैंडिंग के चलते कोई जवाब नहीं दे रहे विक्रम से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी संपर्क करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। 

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, नासा का लुनार रिकॉनियसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) जैसे ही चांद के इस हिस्से के आसमान से गुजरेगा, वहां से वह विक्रम की तस्वीरें भेजेगा। हालांकि, ये तस्वीरें धुंधली भी हो सकती हैं। एलआरओ परियोजना वैज्ञानिक नोआ पेट्रो के मुताबिक, नासा ये तस्वीरें इसरो के वैज्ञानिकों को मुहैया कराएगा, ताकि चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम के बारे में सटीक आकलन किया जा सके। इन तस्वीरों से विक्रम की सही हालत का अंदाजा लगाया जा सकेगा।

हैलो का जवाब अभी तक नहीं

इससे पहले नासा ने भी विक्रम से संपर्क कायम करने की कोशिश की थी। उसने रेडियो तरंगों के जरिए विक्रम को ‘हैलो’ संदेश भेजा था। नासा की जेट प्रपल्शन लेबोरेटरी ने विक्रम को रेडियो तरंगें भेजी थी, ताकि उसकी कोई प्रतिक्रिया मिल सके, मगर विक्रम का अभी तक कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों ने बताया कि नासा की यह लेबोरेटरी इसरो की मंजूरी के साथ डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए विक्रम से अब भी संपर्क करने में जुटी है। डीएसएन के तीन केंद्रों स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया के गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन इन तीनों केंद्रों को विक्रम को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।

अब चांद पर ढलने लगी है शाम

दरअसल, सोमवार से ही चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है। विक्रम जिस वक्त चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह ही हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इन दिनों में चांद के इस इलाके में सूरज की रोशनी रहती है। 14 दिन बाद यानी 20-21 सितंबर को चांद पर रात होनी शुरू हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम और उसके रोवर प्रज्ञान के मिशन का वक्त पूरा हो जाएगा। इस अवधि के बाद सौर पैनलों के सहारे चलने वाले विक्रम के लिए यह वक्त बेहद सर्द हो जाएगा। 

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