Business : खुशखबरी... सस्ता हो गया खाने का तेल, सरसों तेल समेत गिरे सभी के दाम, चेक करें लिस्ट
Business - खुशखबरी... सस्ता हो गया खाने का तेल, सरसों तेल समेत गिरे सभी के दाम, चेक करें लिस्ट
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Updated on: 27-Jun-2021 04:55 PM IST
नई दिल्ली: आम आदमी के लिए राहत की खबर है। विदेशी बाजारों में गिरावट आने के बाद तेल की कीमतें भी कम हो गई हैं, यानी खाद्य तेल (Edible Oil) पहले की तुलना में अब सस्ता (Edible oil price down) हो गया है। दिल्ली के तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और पामोलीन कांडला तेल कीमतों (Edible Oil Price) में गिरावट रही है, जबकि स्थानीय मांग बढ़ने और डीओसी की निर्यात मांग के कारण सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने की वजह से सरसों की खपत बढ़ी है। सरसों से रिफाइंड बनाए जाने के कारण भी सरसों की कमी हुई। खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा आठ जून से सरसों में किसी अन्य तेल की मिलावट पर रोक लगाये जाने से भी उपभोक्ताओं में शुद्ध सरसों तेल के लिए मांग बढ़ी हैकीमतों में आया सुधारसरसों की मांग के मुकाबले बाजार में आवक कम है और किसान रोक-रोककर माल ला रहे हैं। इन परिस्थितियों में बीते सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा सत्र में सरसों किसानों को जो दाम मिले हैं उससे सरसों की आगामी फसल जोरदार होने की उम्मीद की जा रही है और विशेषज्ञों का मानना है कि किसान गेहूं की जगह सरसों की अधिक बुवाई कर सकते हैं।सूत्रों ने कहा कि सरकार को अभी से ही सरसों के बीज का इंतजाम कर लेना चाहिये क्योंकि अभी बाजार में फसल उपलब्ध है और कहीं ऐसा न हो कि ऐन बिजाई के मौके पर सरसों की संभावित बम्पर पैदावार की राह में बीज की कमी कोई रोड़ा बने। सरसों की मौजूदा खपत का स्तर लगभग 70-75 प्रतिशत ही है लेकिन अगले 10-15 दिनों में खपत का स्तर बढ़कर 100 प्रतिशत होगा और मंडियों में आवक की कमी की स्थिति को देखते हुए सरसों बीज का अभी से इंतजाम कर लेना बेहतर कदम साबित होगा। कंपनियों को रोजाना दो लाख बोरी सरसों की जरूरतउन्होंने कहा कि सरसों की कमी की वजह से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में तेल मिलें बंद होने लगी हैं। स्थानीय 5-20 बोरी की पेराई करने वाले छोटे कोल्हू वालों की एक से सवा लाख बोरी सरसों की दैनिक मांग है जबकि बड़ी तेल मिलों को रोजाना ढाई लाख बोरी सरसों चाहिये। पक्की घानी सरसों तेल पेराई करने वाली कंपनियों को रोजाना दो लाख बोरी सरसों चाहिये। इस भारी मांग की तुलना में मंडियों में दो से सवा दो लाख बोरी के लगभग ही सरसों की आवक है।सूत्रों ने कहा कि अभी जो स्थिति बनती दिख रही है उससे सरसों की मांग और बढ़ेगी क्योंकि उपभोक्ताओं को शुद्ध सरसों तेल उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस वजह से आगे जाकर विदेशी तेलों की घट-बढ़ का असर सरसों पर नहीं होगा जिसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल की निर्यात के साथ-साथ भारी स्थानीय मांग होने से बीते सप्ताह सोयाबीन दाना और लूज के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। वहीं, विदेशों में गिरावट और मांग की कमी के बीच समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन तेल कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट के साथ बंद हुई। कितना सस्ता हुआ कौन सा तेल->> बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव 150 रुपये का लाभ दर्शाता 7,275-7,325 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो पिछले सप्ताहांत 7,125-7,175 रुपये प्रति क्विंटल था।>> सरसों दादरी तेल का भाव भी 150 रुपये बढ़कर 14,250 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।>> सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 25-25 रुपये का लाभ दर्शाते क्रमश: 2,300-2,350 रुपये और 2,400-2,500 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।>> सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 300 रुपये और 250 रुपये का लाभ दर्शाते क्रमश: 7,450-7,500 रुपये और 7,350-7,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।इसके अलावा विदेशों में मांग की कमी से तेल-तिलहनों में गिरावट की वजह से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड), सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 250 रुपये, 250 रुपये और 50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 13,400 रुपये, 13,300 रुपये और 12,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।गुजरात में मूंगफली की गर्मी की फसल मंडियों में आने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना 210 रुपये की हानि के साथ 5,495-5,640 रुपये, मूंगफली गुजरात 700 रुपये टूटकर 13,500 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 50 रुपये की हानि के साथ 2,075-2,205 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन दिल्ली का भाव पूर्वस्तर पर अपरिवर्तित रहा जबकि पामोलीन कांडला तेल का भाव 150 रुपये के नुकसान के साथ समीक्षाधीन सप्ताहांत में 11,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
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