LSG vs MI: मुंबई इंडियंस और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच हुए मुकाबले में एक ऐसा पल आया, जिसने क्रिकेट के चाहने वालों को चौंका दिया। तिलक वर्मा, जो उस वक्त क्रीज़ पर संघर्ष करते नजर आ रहे थे, 19वें ओवर में अचानक रिटायर आउट होकर लौट गए। उनका प्रदर्शन बेहद साधारण रहा—23 गेंदों में मात्र 25 रन। इस फैसले ने न केवल मैच का रुख बदला बल्कि क्रिकेट जगत में भी नई बहस छेड़ दी।
मैच के बाद तमाम अटकलों को विराम देते हुए मुंबई इंडियंस के हेड कोच माहेला जयवर्धने ने साफ किया कि तिलक को वापस बुलाने का फैसला उनका था। उन्होंने इसे एक रणनीतिक कदम बताया। जयवर्धने ने इसे फुटबॉल से प्रेरित एक प्रयोग बताया, जहां कोच अंतिम समय में सब्सटिट्यूट लाकर मैच पलटने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि मुंबई को आखिरी दो ओवरों में 29 रन चाहिए थे, और तिलक की धीमी बल्लेबाज़ी को देखते हुए यह जरूरी हो गया था कि एक नया बल्लेबाज उतारा जाए जो तेजी से रन बना सके।
तिलक की जगह भेजे गए मिचेल सेंटनर भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए और टीम को अंत में हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में यह रणनीति सफल तो नहीं रही, लेकिन क्रिकेट में "रिटायर आउट" जैसे विकल्प के प्रयोग ने एक नया आयाम जरूर जोड़ दिया।
जब तिलक रिटायर आउट हुए, तो सोशल मीडिया और क्रिकेट पंडितों के बीच तुरंत यह सवाल उठने लगा कि क्या यह फैसला कप्तान हार्दिक पंड्या का था या फिर टीम मैनेजमेंट का? आमतौर पर ऐसे बड़े फैसले मैदान पर कप्तान ही करता है। पर इस बार कोच ने आगे आकर इसकी जिम्मेदारी ली। फिर भी, कई विशेषज्ञों ने सवाल किया कि जब हार्दिक पंड्या खुद गुजरात टाइटंस के खिलाफ 17 गेंदों में महज़ 11 रन बना सके थे, तब उन्हें क्यों नहीं हटाया गया?
एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर तिलक को रिटायर आउट करना ही था, तो यह निर्णय 17वें या 18वें ओवर में क्यों नहीं लिया गया? तब तक भी उनकी बल्लेबाज़ी में कोई तेजी नहीं थी। यदि समय पर यह कदम उठाया गया होता, तो शायद टीम के पास जीत की थोड़ी ज्यादा संभावना होती।
तिलक वर्मा आईपीएल इतिहास के दूसरे ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं जो रिटायर आउट हुए हैं। उनसे पहले 2022 में रविचंद्रन अश्विन ने राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए इसी लखनऊ के खिलाफ मैच में ये कदम उठाया था।