Strait of Hormuz: ईरान और इजराइल के बीच बीते 10 दिनों से जारी युद्ध ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। ताजा खबर यह है कि ईरानी संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का निर्णय लिया है। यह वही खाड़ी है जिससे होकर दुनिया भर के एक बड़े हिस्से में तेल की आपूर्ति होती है। यदि यह रास्ता बंद होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत जैसे देशों की ऊर्जा सुरक्षा को भी बड़ा झटका लग सकता है।
21-22 जून 2025 की रात अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद हालात और ज्यादा बिगड़ गए। ईरान ने पहले ही कई बार होर्मुज खाड़ी को बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अब संसद में बाकायदा यह फैसला लिया गया है। हालांकि अंतिम मुहर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ही लगाएंगे।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, होर्मुज खाड़ी से हर दिन 5.5 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का आयात होता है, जिसमें से भारत अकेले 2 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल इसी रास्ते से मंगाता है। ऐसे में अगर यह रास्ता बंद हो जाता है, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित होगी। देश में तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है और महंगाई की लहर तेज हो सकती है।
JNU के प्रोफेसर लक्ष्मण कुमार बेहेरा का कहना है कि इस खाड़ी के बंद होने से ग्लोबल एनर्जी मार्केट में भूकंप आ जाएगा। भारत की एनर्जी सिक्योरिटी पर सीधा असर पड़ेगा और कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। वहीं, रिटायर्ड नेवी ऑफिसर कैप्टन डी के शर्मा ने बताया कि अगर तेल के ट्रांसपोर्ट का रास्ता बदला गया, तो शिपिंग कॉस्ट और बीमा प्रीमियम बढ़ने से तेल और महंगा हो जाएगा। इससे कच्चे तेल की कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 100 डॉलर तक जा सकती हैं।
होर्मुज खाड़ी केवल भारत ही नहीं, बल्कि सऊदी अरब, इराक, कुवैत जैसे तमाम खाड़ी देशों के लिए भी लाइफलाइन है। यहां तनातनी बढ़ने से न केवल करेंसी मार्केट में उतार-चढ़ाव आएगा, बल्कि निवेशक भी अस्थिरता के चलते सुरक्षित बाजारों की तलाश शुरू कर देंगे। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि होर्मुज खाड़ी में थोड़ी सी भी बाधा वैश्विक तेल बाजार को हिला सकती है।