Mecca Hajj pilgrims death: आखिर कैसे मर गए मक्का की हज यात्रा में 550 से ज्यादा जायरीन?

Mecca Hajj pilgrims death - आखिर कैसे मर गए मक्का की हज यात्रा में 550 से ज्यादा जायरीन?
| Updated on: 19-Jun-2024 07:53 PM IST
Mecca Hajj pilgrims death: दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कही जाने वाली सऊदी की हज यात्रा में गर्मी ने कहर बरपाया है. मक्का में पारा 52 डिग्री तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी ने 550 से ज्यादा हज यात्रियों की जान ले ली है. मौत का आंकड़ा चौंका रहा है. इस बीच सऊदी सरकार की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं. अलग-अलग देशों के श्रद्धालुओं की मौत के बीच सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि गर्मी के असर से बीमार होने के 2700 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.

ऐसे में सवाल है कि क्या मक्का की हज यात्रा में होने वाली मौतों की वजह सिर्फ बढ़ता तापमान है या कुछ और. मीडिया रिपोर्ट में डिप्लोमेट के बयान इसकी एक और कहानी बताते हैं. उनके बयान इस बात को पुख्ता करते हैं कि मौत का आंकड़ा बढ़ने की वजह एक नहीं है.

कितने बिगड़े हालात?

मक्का में इतनी मौतें क्यों हुई, इसे समझने से पहले वहां के हालात जान लीजिए. मंगलवार को अरब राजनयिक ने बताया, मरने वालों में 323 मिस्र के नागरिक थे, जिन्होंने खासतौर पर गर्मी से जुड़ी दिक्कतों के कारण दम तोड़ दिया.

राजनयिक का कहना है, मिस्र से आए सभी हजयात्रियों की मौत गर्मी के कारण हुई, सिवाय एक व्यक्ति के जो मामूली भीड़ की टक्कर में घायल हो गया था. मक्का के अल-मुआइसम स्थित अस्पताल के मुर्दाघर ने भी इस आंकड़ों की पुष्टि की है. इनके अलावा जॉर्डन के 60 हज यात्रियों के मरने की खबर है, एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग देशों में मरने वालों की कुल संख्या अब 577 हो गई है.

मक्का में क्यों हुईं 550 मौतें?

पहली वजह:

मक्का में हुई मौत के कारणों को तलाशेंगे तो पाएंगे कि इसकी एक बड़ी वजह है बढ़ता तापमान. जलवायु परिवर्तन का असर यहां की हज यात्रा पर भी देखा गया है. हाल में सऊदी अरब में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि धार्मिक स्थलों में तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ रहा है. सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, सोमवार को मक्का की ग्रैंड मस्जिद का तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस (125 फ़ारेनहाइट) तक पहुंच गया.

पिछले साल हज के दौरान 240 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जिनमें से ज़्यादातर इंडोनेशियाई थे. इस साल सऊदी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों से छाते का इस्तेमाल करने, हाइड्रेटेड रहने और तेज़ धूप से बचने का आग्रह किया था. इस साल करीब 1.8 मिलियन तीर्थयात्री शामिल हुए, जिनमें से 1.6 मिलियन विदेश से आए थे.

दूसरी वजह:

मौत का खतरा बढ़ने की दूसरी गैर-पंजीकृत तीर्थयात्री को बताया गया है, जो आधिकारिक और महंगी हज वीज़ा प्रक्रियाओं का हिस्सा नहीं बनते हैं. नतीजा उन्हें एयरकंडीशन सुविधा का फायदा नहीं मिलता, नतीजा वो गर्मी का असर झेलते हैं. मिस्र के राजनयिक का कहना है, गैर-पंजीकृत जायरीनों के कारण मौत की दर बढ़ी है.

सऊदी अधिकारियों ने बताया कि हज से पहले मक्का से सैकड़ों हज़ारों अपंजीकृत तीर्थयात्रियों को निकाला गया. इंडोनेशिया, ईरान सहित अन्य देशों ने भी मौतों की सूचना दी, हालांकि अधिकांश ने यह नहीं बताया कि वे गर्मी से संबंधित थे या नहीं.

तीसरी वजह:

मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी का कहना है, अनियमित तीर्थयात्रियों के कारण शिविर में हालात बिगड़े. नतीजा, कई सेवाएं ठप हो गईं. कई लोग भोजन, पानी या एयर कंडीशनिंग के बिना रह गए, जिससे गर्मी से संबंधित मौतें हुईं. मंगलवार को सऊदी स्वास्थ्य मंत्री फहद बिन अब्दुल रहमान ने घोषणा की है कि हज के लिए स्वास्थ्य से जुड़े कैंप शुरू किए गए हैं ताकि बड़ी बीमारियों के प्रकोप और लोगों के स्वास्थ्य को बिगड़ने से रोका जा सके.

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