दुनिया: कितना है ब्रह्माण्ड का वजन? इस सवाल के दो जवाब हमें दे सकते हैं ‘नया विज्ञान’

दुनिया - कितना है ब्रह्माण्ड का वजन? इस सवाल के दो जवाब हमें दे सकते हैं ‘नया विज्ञान’
| Updated on: 13-May-2020 03:36 PM IST
नई दिल्ली:  क्या ब्रह्माण्ड (Cosmos) को दो अलग तरीके से देखने से अलग नतीजे आ सकते हैं। एस्ट्रोफिजिक्स यानि अंतरिक्ष भौतिकी (Astrophysics) में अगल तरह से गणनाओं के कारण जो अंतर पैदा होता है उस विसंगति (discrepancy) को  दूर करना कई बार वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल होता जाता है। हाल ही में ऐसा देखने को मिला जब वैज्ञानिक हमारे आकाश में दिखने वाली आकाशगंगाओं (Galaxy) के बारे अलग ही तरह से आंकड़े जुटाने की कोशिश कर रहे थे। इस अध्ययन के नतीजों विज्ञान जगत में इतना बड़ा विवाद कर सकते हैं, को हो सकता है कि हमें कुछ दिनों बाद हमें एक अलग ही भौतिक विज्ञान (New Physics) देखने को मिले।

क्या बदलाव हो सकता है भौतिक विज्ञान में

इस विसंगति के कारण भौतिकविदों को  ब्रह्माण्ड विज्ञान के मानक मॉडल को ही फिर से पुनःपरिभाषित करना पड़ सकता है। जर्मनी में रूर यूनिवर्सिटी के खगोलविद हेनरिक हिल्डेब्रैंड्ट और उनकी टीम के एक शोध ने इस तरह की विसंगति को पैदा किया है।

पहले भी हबल टेंशन के कारण आई थी ऐसी स्थिति

एक मानक मॉडल में इस तरह के परिवर्तन की आशंका पहले भी आ चुकी है। कुछ साल पहले दो अलग गणनाओं ने एक हबल कॉन्स्टेंट पर विवाद पैदा किया था। हबल कॉन्स्टेंट वह दर है जिससे हमारा ब्रह्माण्ड आज फैल रहा है। इसकी दो अलग गणनाओं में असहमति ने जो विसंगति पैदा की उसे हबल टेंशन (Hubble Tension) कहते हैं।

क्या है नई विसंगति

इस नई विसंगति (discrepancy) का नाम ह सिग्मा 8 टेंशन (sigma-eight tension)। इसका संबंध अंतरिक्ष में उपस्थित पदार्थों का घनत्व को नापने और इसके असमान्य बिखराव की मात्रा से है। सांटिफिक अमेरिकन में प्रकाशित शोध के अनुसार हिल्डेब्रैंड्ट और उनके साथियों ने सिग्मा 8 (sigma-eight) को नापने के लिए एक प्रभाव का अध्ययन किया जिसे कमजोर गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग (weak gravitational lensing) कहते हैं।

क्या है यह गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग

इसकी वजह से सुदूर गैलेक्सी से आने वाला प्रकाश थोड़ा सा हमारे टेलीस्कोप की ओर मुड़ जाता है। इसकी वजह है उस प्रकाश के रास्ते में आने वाली गैलेक्सी और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल। यह विकृति बहुत ही छोटी होती है कि यह किसी विशेष गैलेक्सी का आकार शायद ही बदल सके।


बड़े बदलाव भी आ सकते हैं इस लेंसिंग के कारण

 यदि आप आकाश के किसी हिस्से में स्थित हजारों गैलेक्सी के आकार का औसत देखें तो वीक लेंसिंग के संकेत का प्रभाव बढ़ता ही जाता है। आमतौर पर इन गैलेक्सियों को समग्र रूप गोलाकार होना चाहिए और वीक लेंसिंग प्रभाव के बिना होता भी है, जबकि वीक लेंसिंग प्रभाव के कारण यह दीर्घवृत्तीय (elliptical) हो जाता है।


इस प्रभाव का उपोयग कर ब्रह्माण्ड का पदार्थ धनत्व की गणना

खगोलविदों ने इन संकेतों का उपयोग आकाश के एक हिस्से में स्थित हजारों गैलेक्सी में पदार्थ की मात्रा और वितरण का अनुमान लगाने के लिए किया। इस तरह उन्होंने ब्रह्माण्ड का पदार्थ धनत्व जानने का प्रयास किया। इसके लिए शोधकर्ताओं को हर गैलेक्सी की दूरी की जानकारी भी चाहिए थी।


कैसे जुटाए आंकड़े

यहां शोधकर्ताओं ने  इसके लिए फोटोमेट्रिक तकनीक का सहारा लिया जिसके उन्होंने  विभिन्न गैलेक्सियों की अलग-अलग तस्वीरों का अध्ययन किया। ये तस्वीरें  उन्हें  यूरोपियन साउदर्न ऑबजर्वेटरी की किलो डिग्री सर्वे (KiDS)  विस्ता किलो डिग्री इंफ्रारेट सर्वे (VIKING), और चिली के पैरानल ऑबजर्वेटरी के टेलीस्कोप के आंकड़ों का अध्ययन किया।

सिग्मा 8 के मान में आ गया बड़ा अंतर

इन तमाम आंकड़ों से शोधकर्ताओं ने सिग्मा 8 अनुमान लगाया, लेकिन इसका मान यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्लैंक सैटेलाइट के अवलोकित आंकड़ों की मदद से निकाले गए काफी अलग निकला। जहां हिल्डेब्रैंड्ट की टीम का सिग्मा 8 का मान 0,74 आ रहा था, वहीं प्लैंक आंकड़ो ने यह मान 0।81 दिया था। तमाम त्रुटियों और संभावित विविधताओं के बाद भी यह अंतर बहुत ही ज्यादा है और यही विसंगति (discrepancy) उस बड़े विवाद की जड़ हो सकता है जिसकी आशंका जताई जा रही है।

हबल टेंशन की तरह बन सकती है बड़ी विसंगति

वैसे व्यवस्थित त्रुटि की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है और ऐसे में विसंगति जा सकती है, लेकिन यह भी ज्यादा संभव है कि ऐसा न हो। ऐसे में एक बार फिर वही स्थिति पैदा हो सकती है जो कभी एक और विवाद को जन्म देने का कारण बनी थी। वह थी हबल टेंशन (Hubble Tension)। यानि इस तरह कि विसंगति इतिहास में पहले भी सामने आ चुकी है।

हबल टेंशन का भी शुरू में यही था हाल

हबल टेंशन का मुद्दा तमाम गणना क्षमता के विकास के बावजूद हल होने की जगह गहराता ही रहा है। हिल्डेब्रैंड्ट का कहना है, “सिग्मा 8 विसंगति का भी वही हाल हो सकता है। हम नहीं जानते।”  कुछ वैज्ञानिक इस विसंगति को हबल टेंशन का ‘छोटा भाई’ मान रहे हैं।

फिर बदलना पड़ेगा मानक मॉडल

अगर सिग्मा 8 टेंशन भी हबल टेंशन की तरह बढ़ा तो वैज्ञानिकों के लिए इस नजरअंदाज करना मुश्किल हो जाएगा और फिर उन्हें कॉज्मोलॉजी यानि ब्रह्मण्ड विज्ञान को मानक मॉडल को फिर से बनाना पड़ेगा। यहां एक पूरे ही नई तरह का भौतिक विज्ञान जन्म ले सकता है। क्योंकि इसके लिए उन्हें बहुत से मानदंडों में बदलाव करने होंगे।

तो अब क्या

इस नई भौतिकी को डार्क मैटर और डार्क ऊर्जा की मात्रा का अनुमान बदलना होगा। अभी माना जाता है कि ब्रह्माण्ड में  डार्क ऊर्जा 68 प्रतिशत है जबकि डार्क मैटर 27 प्रतिशत है।  इसके अलावा भी कई मूलभूत बदलाव करने होंगे। हो सकता है कि इससे हबल टेंशन विसंगति का भी समाधान हो जाए। लेकिन फिलहाल तो खगोलविदों या तो सिग्मा 8 

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