Economy of India: विकसित और उभरते G-20 देशों में भारत की विकास दर कैसी रहेगी? मूडीज ने लगाया ताजा अनुमान

Economy of India - विकसित और उभरते G-20 देशों में भारत की विकास दर कैसी रहेगी? मूडीज ने लगाया ताजा अनुमान
| Updated on: 01-Apr-2025 06:20 PM IST

Economy of India: भारत की आर्थिक वृद्धि इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इसे जी-20 देशों में सबसे उच्चतम वृद्धि दर वाला देश बना देगा। यह ताजा अनुमान मूडीज रेटिंग्स द्वारा मंगलवार को प्रकाशित किया गया। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भारत इस वृद्धि दर को अपने कर उपायों और निरंतर मौद्रिक सहजता के कारण हासिल करेगा। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक पूंजी प्रवाह, व्यापार, और भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बीच एक मजबूत स्थिति में है, जो इसे उभरते और विकसित देशों के मुकाबले एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।

भारत की आर्थिक स्थिति और विकास के प्रमुख कारण

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत ने लगातार पूंजी आकर्षित करने की क्षमता दिखाई है, जबकि उसे वैश्विक पूंजी प्रवाह और आउटफ्लो के जोखिम का भी सामना करना पड़ा है। यह स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उन उभरते बाजारों में से एक है, जिनमें अमेरिकी नीतियों के प्रभाव, वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव और व्यापारिक तनावों के बावजूद स्थिरता बनी हुई है। भारत ने अपनी घरेलू पूंजी बाजारों और विदेशों में बचत बढ़ाने के लिए प्रभावी उपाय किए हैं, जिससे वैश्विक वित्तीय दबावों से निपटने में मदद मिली है।

मूडीज ने यह भी कहा कि भारत की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2024-25 के 6.7 प्रतिशत से थोड़ा कम है। बावजूद इसके, यह अनुमान जी-20 देशों के लिए सबसे अधिक रहेगा। भारत की वृद्धि दर को प्रोत्साहित करने में मुख्य रूप से कर उपाय और मौद्रिक नीति में ढील देने का प्रभाव पड़ा है। सरकार ने आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है, जिससे मध्यम वर्ग को 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत मिली है। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को और प्रोत्साहन मिला है।

संसाधनों से उथल-पुथल का मुकाबला

मूडीज ने यह भी उल्लेख किया कि बड़े उभरते बाजारों के पास वैश्विक अर्थव्यवस्था में उठ रही उथल-पुथल से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। हालांकि, कुछ देशों में विकास दर में धीमापन आ सकता है, लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज वृद्धि देखने को मिलेगी। चीन की वृद्धि में भी कुछ कमी देखने को मिल सकती है, लेकिन बुनियादी ढांचा और उच्च तकनीकी क्षेत्रों में निवेश और निर्यात अभी भी प्रमुख विकास चालक रहेंगे।

भारत और ब्राजील की विशिष्ट स्थिति

मूडीज के अनुसार, भारत और ब्राजील जैसी बड़ी, विविधतापूर्ण और घरेलू रूप से उन्मुख अर्थव्यवस्थाएं पूंजी आकर्षित करने और सीमा-पार आउटफ्लो का सामना करने में अधिक सक्षम हैं। इन देशों में गहरे घरेलू पूंजी बाजार और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हैं, जो उन्हें वैश्विक वित्तीय अस्थिरता से मुकाबला करने में मदद करते हैं। इन विशेषताओं के कारण, निवेशकों को विश्वास है कि ये देश बाहरी वित्तीय दबावों का सामना करने में सक्षम हैं।

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