Share Market News: वैश्विक व्यापार युद्धों की आग में झुलसते हुए भारत के शेयर बाजार ने हाल के दिनों में निराशाजनक प्रदर्शन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक के बाद एक प्रहार किया है, जिसका असर सीधे स्टॉक मार्केट पर दिखाई दे रहा है। पहले भारत को 'टैरिफ किंग' करार देकर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया, फिर रूस से तेल खरीद को 'वॉर मशीन को फ्यूल' बताकर अतिरिक्त 25 प्रतिशत का बोझ थोप दिया। कुल मिलाकर 50 प्रतिशत टैरिफ का जाल बिछ गया। ऊपर से यूरोपीय संघ को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिशें और अब H-1B वीजा शुल्क को 1 लाख डॉलर (करीब 84 लाख रुपये) सालाना करने का ऐलान। यह कदम भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों पर सबसे ज्यादा असर डालेगा, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं।
इन सबके चलते बीते तीन दिनों से शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली ने बाजार को और नीचे धकेल दिया है। 23 सितंबर को सेंसेक्स 82,102 अंकों पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र से 0.07 प्रतिशत नीचे था। 24 सितंबर दोपहर 1 बजे तक सेंसेक्स 200 अंकों की गिरावट के साथ 81,894.55 पर कारोबार कर रहा था, जबकि सत्र के दौरान 500 अंकों की भारी गिरावट देखी गई। Nifty 50 भी 25,085 के आसपास घूम रहा है, जो 0.35 प्रतिशत नीचे है। रुपये की कीमत भी 88.75 डॉलर प्रति पर डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई।
ट्रंप प्रशासन का H-1B वीजा शुल्क बढ़ाने का फैसला 21 सितंबर से लागू हो चुका है, जो मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं बल्कि नए आवेदनों पर लागू है। लेकिन इसका असर तत्काल दिखा: TCS, Infosys, Wipro जैसी आईटी फर्मों के शेयरों में गिरावट आई। भारत सरकार ने इसे 'मानवीय परिणामों' वाली नीति करार दिया है, जबकि विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'कमजोर रुख' अपनाने का आरोप लगाया। व्यापार वार्ताओं के बीच यह कदम भारतीय निर्यात को और चोट पहुंचा सकता है, जहां पहले से ही 50 प्रतिशत टैरिफ से 10 क्षेत्रों में 2.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान अनुमानित है।
ऐसे माहौल में दुनिया की प्रमुख रिसर्च फर्म HSBC ने भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं। अपनी ताजा रिपोर्ट 'एशिया इक्विटी इनसाइट्स क्वार्टरली' में HSBC ने भारत को 'न्यूट्रल' से 'ओवरवेट' रेटिंग दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आकर्षक वैल्यूएशन, सरकार की सुधारवादी नीतियां और घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी से बाजार में रिकवरी हो सकती है। 2026 के अंत तक सेंसेक्स का टारगेट 94,000 रखा गया है, जो वर्तमान स्तर से 13-15 प्रतिशत ऊपर है। 2025 के अंत का टारगेट 85,130 पर कायम है।
HSBC का मानना है कि विदेशी निवेशकों ने पिछले एक साल में भारतीय बाजार से भारी निकासी की (2025 में अब तक 1.80 लाख करोड़ रुपये), लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 27,147 करोड़ रुपये की खरीदारी से बाजार को सहारा दिया। एशिया प्रशांत क्षेत्र के इक्विटी बाजारों में सालाना 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो मुख्यतः रिटेल निवेशकों की बदौलत है। कमाई में 2025 के लिए 12 प्रतिशत (संभावित 8-9 प्रतिशत) और 2026 के लिए 15 प्रतिशत की उम्मीद है, लेकिन ROE 14.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरिया और ताइवान जैसे एशियाई बाजारों में उथल-पुथल के बीच भारत अपेक्षाकृत शांत रहा। सरकार के रिफॉर्म्स, जैसे कैपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस, ने अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार दिया। भले ही कमाई में हल्की कमी आए, लेकिन निवेशकों का विश्वास और नीतिगत समर्थन इसे बड़ी बाधा नहीं बनने देंगे।
HSBC की क्षेत्रीय रणनीति में भारत अब सबसे आगे है और एशिया के टॉप ओवरवेट विकल्पों में शुमार है। चीन और हॉन्गकॉन्ग भी 'ओवरवेट' कैटेगरी में बने हुए हैं, जहां FTSE China के लिए 2026 तक 21 प्रतिशत और FTSE Hong Kong के लिए 16.4 प्रतिशत रिटर्न का अनुमान है। हॉन्गकॉन्ग में मुख्यभूमि चीनी निवेशकों ने 140 अरब डॉलर की खरीदारी की, जो पिछले तीन साल के औसत से दोगुनी है।
दूसरी ओर, कोरिया को 'अंडरवेट' कर दिया गया है, क्योंकि कॉर्पोरेट गवर्नेंस सुधारों के बावजूद बाजार की तेजी सीमित है। जापान कमजोर येन से फायदा उठा रहा है, लेकिन अब दबाव में है। ASEAN देशों के बाजार राजनीतिक अनिश्चितताओं से सुस्त हैं, जहां निवेशक विश्वास कम है। कुल मिलाकर, एशियाई बाजार 2025 में 20 प्रतिशत ऊपर हैं, लेकिन आगे अनिश्चितता बनी हुई है।
भारतीय शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति उतार-चढ़ाव भरी है, लेकिन लंबी अवधि में यह निवेशकों को भरोसा देता रहा है। 2025 में अब तक सेंसेक्स ने 5 प्रतिशत की तेजी दिखाई, जो MSCI Asia ex Japan (23 प्रतिशत) से पीछे है। पिछले 6 महीनों में 5 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई, जबकि साल भर में 3.50 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन पांच साल के नजरिए से सेंसेक्स ने 119 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की नीतियां अल्पकालिक दबाव डालेंगी, लेकिन भारत की घरेलू मांग, सरकारी खर्च और डिजिटल अर्थव्यवस्था विकास के इंजन बने रहेंगे। HSBC की रिपोर्ट निवेशकों को सतर्क आशावाद का संदेश देती है: गिरावट के बाद रिकवरी के संकेत मजबूत हैं। क्या यह बाजार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा? आने वाले महीने बताएंगे।
(डिस्क्लेमर: यह लेख सूचना उद्देश्य के लिए है। निवेश से पहले विशेषज्ञ सलाह लें।)