Priyanka Chaturvedi: IAS टीना डाबी पर टिप्पणी कर ट्रोल हुईं सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, बाद में दी सफाई
Priyanka Chaturvedi - IAS टीना डाबी पर टिप्पणी कर ट्रोल हुईं सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, बाद में दी सफाई
सांसद प्रियंका चतुर्वेदी हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद विवादों में घिर गईं, जब उन्होंने IAS अधिकारी टीना डाबी से जुड़े एक मामले पर टिप्पणी की. यह घटना राजस्थान के बाड़मेर में हुई, जहाँ कॉलेज के छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें जिला कलेक्टर टीना डाबी को 'रील स्टार' कहने के बाद हिरासत में लिया गया था. इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय नौकरशाही की असहिष्णुता पर सवाल उठाया, जिससे उन्हें व्यापक ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा और बाद में, उन्होंने अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया, यह कहते हुए कि उनकी टिप्पणी नौकरशाहों की कार्यशैली और आलोचना के प्रति उनकी असहिष्णुता पर थी, न कि किसी जाति या समुदाय पर प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में बाड़मेर की घटना का जिक्र किया, जहाँ छात्रों को कथित तौर पर टीना डाबी को 'रील स्टार' कहने के लिए हिरासत में लिया गया था.उन्होंने इस घटना को 'भारत में नौकरशाही के असहिष्णु होने का एक और दिन' बताया और अपनी पोस्ट में, उन्होंने आगे लिखा कि अधिकारी अपने भ्रष्टाचार, सत्ता के नशे और अब असहिष्णुता के बावजूद कड़ी जांच से बचते रहते हैं. यह टिप्पणी तुरंत वायरल हो गई और इसने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी, जिसमें कई यूजर्स ने उनके बयान की आलोचना की और उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया.
छात्रों के आरोप और टीना डाबी का खंडन
यह पूरा विवाद राजस्थान के बाड़मेर में महाराणा भूपाल कॉलेज (MBC) गर्ल्स कॉलेज के बाहर शुरू हुआ और कॉलेज के छात्र परीक्षा फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और अपनी शिकायतें जिला कलेक्टर टीना डाबी तक पहुंचाना चाहते थे. छात्रों का कहना है कि जब वे डाबी से मिलने की कोशिश कर रहे थे, तो स्थिति तब बिगड़ गई जब एक अधिकारी ने टीना डाबी को उनके लिए 'रोल मॉडल' बताया और इस पर एक छात्र ने असहमति जताई और टीना डाबी को 'रील मॉडल' कह दिया. छात्रों ने आरोप लगाया कि इस टिप्पणी के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. हालांकि, मशहूर इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) ऑफिसर टीना डाबी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है कि छात्रों को उनकी टिप्पणी के लिए हिरासत में लिया गया था.ट्रोलिंग और जातिगत नफरत के आरोप
प्रियंका चतुर्वेदी की पोस्ट के बाद, उन्हें सोशल मीडिया पर भारी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. कई यूजर्स ने उनके बयान को टीना डाबी की जाति से नफरत से जोड़ दिया. इन आरोपों ने विवाद को और गहरा कर दिया, क्योंकि प्रियंका चतुर्वेदी पर एक विशिष्ट समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया गया. सोशल मीडिया पर यह बहस तेजी से फैल गई, जिसमें लोगों ने उनके इरादों पर सवाल उठाए और उनके बयान को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया और इस तरह की ट्रोलिंग ने उन्हें अपने बयान पर स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर किया, ताकि गलतफहमी को दूर किया जा सके और अपने वास्तविक इरादे को स्पष्ट किया जा सके.प्रियंका चतुर्वेदी का स्पष्टीकरण
ट्रोलिंग का जवाब देते हुए, प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पर एक और पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब उन्होंने नौकरशाहों के घमंड की बात की, तो यह उनके काम करने के तरीके और आलोचना न झेल पाने की उनकी आदत के बारे में था, न कि उस जाति या समुदाय के बारे में जिससे वे आते हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह शर्म की बात है कि इस खास नौकरशाह का फैन क्लब उन्हें ट्रोल करने के लिए इसे जाति की पहचान से जोड़ रहा है. उन्होंने अपने आलोचकों को 'बेहतर करने' की सलाह दी, यह कहते हुए कि एक्स पर उनकी असहिष्णुता उनके मूल ट्वीट को सही साबित कर रही है और यह स्पष्टीकरण उनके बयान के पीछे के वास्तविक उद्देश्य को उजागर करने और जातिगत नफरत के आरोपों को दूर करने का एक प्रयास था.ब्यूरोक्रेसी और सार्वजनिक आलोचना पर बहस
यह घटना नौकरशाही की सार्वजनिक आलोचना के प्रति संवेदनशीलता और सोशल मीडिया के. युग में सार्वजनिक हस्तियों की प्रतिक्रियाओं पर एक व्यापक बहस को जन्म देती है. प्रियंका चतुर्वेदी की टिप्पणी, भले ही उनका इरादा नौकरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना था, लेकिन इसे एक व्यक्तिगत हमले के रूप में देखा गया, खासकर जब इसे जातिगत पहचान से जोड़ा गया. यह दर्शाता है कि कैसे सार्वजनिक मंचों पर की गई टिप्पणियों को विभिन्न तरीकों. से समझा जा सकता है और कैसे वे अप्रत्याशित प्रतिक्रियाओं को जन्म दे सकती हैं. यह विवाद इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे सोशल मीडिया पर 'फैन क्लब' या समर्थक समूह किसी भी बहस को और जटिल बना सकते हैं, जिससे मूल मुद्दे से ध्यान हटकर व्यक्तिगत हमलों या पहचान-आधारित विवादों में बदल जाता है. इस पूरे प्रकरण ने सार्वजनिक जीवन में आलोचना, सहिष्णुता और जवाबदेही के महत्व को रेखांकित किया है.