Rahul Gandhi News: किसी और देश में बयान दिया होता तो गिरफ्तार हो जाते- भागवत पर भड़के राहुल

Rahul Gandhi News - किसी और देश में बयान दिया होता तो गिरफ्तार हो जाते- भागवत पर भड़के राहुल
| Updated on: 15-Jan-2025 03:40 PM IST

Rahul Gandhi News: कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने मोहन भागवत के उस बयान को राजद्रोह करार दिया जिसमें कहा गया था कि भारत को असली आजादी राम मंदिर बनने के बाद मिली। राहुल गांधी ने इसे हर भारतीय का अपमान बताया और कहा कि अगर यह बयान किसी और देश में दिया गया होता, तो भागवत को गिरफ्तार कर लिया जाता।

दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय 'इंदिरा भवन' के उद्घाटन के अवसर पर पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “मोहन भागवत हर 2-3 दिन में देश को यह बताने की हिम्मत करते हैं कि आजादी के आंदोलन और संविधान के बारे में वे क्या सोचते हैं। उनका यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, देशद्रोह के समान है। यह बयान न केवल स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है बल्कि संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का भी अपमान है।”

राहुल गांधी ने कहा कि यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि आरएसएस और उसके नेता भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को महत्व नहीं देते। उन्होंने कहा, “अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को खारिज करना और यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली थी, सीधे तौर पर हर स्वतंत्रता सेनानी का अपमान है। यह कहने के लिए बहुत साहस चाहिए कि जो हमारे पूर्वजों ने किया वह गलत था। अगर भागवत किसी अन्य देश में ऐसा बयान देते, तो उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलता।”

भागवत के बयान पर उठे सवाल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में कहा था कि भारत को असली आजादी उसी दिन मिली जब राम मंदिर का निर्माण हुआ। भागवत के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।

भागवत के अनुसार, “कई सदियों तक दुश्मनों के आक्रमण सहने के बाद देश को राम मंदिर निर्माण के साथ वास्तविक स्वतंत्रता मिली। इस दिन को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाना चाहिए।” उनके इस बयान ने न केवल कांग्रेस बल्कि अन्य विपक्षी दलों को भी सरकार और आरएसएस के खिलाफ हमलावर बना दिया है।

कांग्रेस की विचारधारा बनाम संघ की विचारधारा अपने भाषण में राहुल गांधी ने भारत में दो विचारधाराओं के बीच जारी संघर्ष को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है। एक विचारधारा संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की वकालत करती है। दूसरी ओर संघ की विचारधारा है जो इन मूल्यों के खिलाफ है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो बीजेपी और संघ के एजेंडे का विरोध कर सकती है। “देश में कोई अन्य राजनीतिक दल नहीं है जो संघ और बीजेपी की विचारधारा को रोक सके। कांग्रेस ही वह पार्टी है जो इनके खिलाफ मजबूती से खड़ी है क्योंकि हम संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं,” राहुल गांधी ने कहा।

सोनिया गांधी ने किया नए मुख्यालय का उद्घाटन कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय का उद्घाटन पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने किया। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे। कोटला मार्ग स्थित इस नए भवन का नामकरण 'इंदिरा भवन' के रूप में किया गया है।

सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि यह भवन कांग्रेस पार्टी की उस ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक है जिसने देश को आजादी दिलाई और भारतीय लोकतंत्र की नींव रखी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।

भागवत के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भागवत के बयान के बाद विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसे देश के स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय संविधान का अपमान बताया है। पार्टी ने इस बयान के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान है।

अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर आरएसएस और बीजेपी को घेरने की कोशिश की है। कई नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी और आरएसएस भारत की स्वतंत्रता और उसके नायकों के योगदान को कम आंकने की कोशिश कर रहे हैं।

देश के सामने चुनौतीपूर्ण समय राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि यह समय देश के लिए चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे समय में हैं जब लोकतंत्र और संविधान पर हमले हो रहे हैं। यह हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की रक्षा करे। कांग्रेस पार्टी इन मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और हमेशा रहेगी।”

कुल मिलाकर, मोहन भागवत के बयान ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। जहां कांग्रेस इसे देशद्रोह और स्वतंत्रता संग्राम का अपमान मान रही है, वहीं आरएसएस इसे अपनी ऐतिहासिक दृष्टिकोण का हिस्सा बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।

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