देश: बैंक डूबने पर अब 90 दिन के भीतर मिलेगा खाताधारकों को पैसा, मोदी सरकार लाएगी ये बिल
देश - बैंक डूबने पर अब 90 दिन के भीतर मिलेगा खाताधारकों को पैसा, मोदी सरकार लाएगी ये बिल
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Updated on: 28-Jul-2021 04:50 PM IST
पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC), येस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों के परेशान ग्राहकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने बुधवार को हुई बैठक में DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। अब इसके बारे में बिल को संसद में रखा जाएगा। इससे किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन के भीतर मिल जाएगा।
मोदी सरकार ने दी मंजूरी! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट बैठक में हुए फैसले की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने आज इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (amendment) बिल,2021 को मंजूरी दी है। इस बिल को संसद के मॉनसून सत्र में रखा जाएगा। इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों के पैसे की सुरक्षा मिलेगी। इसके मंजूर होने के बाद किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन की सीमा के भीतर मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत कॉमर्शियली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक क्यों न हों। वित्त मंत्री ने बताया कि इस तरह के बीमा के लिए प्रीमियम बैंक देता है, ग्राहक नहीं। DICGC असल में भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है। अभी तक नियम यह था कि जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये का बीमा होने पर भी तब तक पैसा नहीं मिलेगा,जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता। इसकी वजह से लंबे समय उन्हें एक पैसा नहीं मिलता। लेकिन एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को राहत मिलेगी। पांच लाख का बीमा DICGC ही यह सुनिश्चित करता है कि किसी बैंक के बर्बाद होने पर उसके जमाकर्ताओं को कम से कम पांच लाख रुपये की राशि वापस की जाए। पहले यह बीमा राशि सिर्फ 1 लाख रुपये ही थी, लेकिन मोदी सरकार ने पिछले साल ही इसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है। अभी तक के प्रावधानों के मुताबिक पांच लाख रुपये की यह वापसी ग्राहकों को तब होती है, जब किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल हो जाता है और उसके लिक्विडेशन यानी एसेट आदि बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है। लेकिन अब सरकार ने इस सबके लिए तीन महीने की सीमा तय कर दी है।
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