IPO Market: क्या आप IPO में पैसा लगाते हैं लेकिन बार-बार शेयर अलॉटमेंट न मिलने से निराश हो जाते हैं? कई लोग इसे महज किस्मत का खेल मान लेते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कुछ समझदारी भरे तरीकों से आप अपने शेयर अलॉटमेंट की संभावना को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। आइए, उन 5 गेम-चेंजर तरीकों के बारे में जानते हैं जो आपके IPO निवेश को और स्मार्ट बना सकते हैं।
अगर IPO लाने वाली कंपनी की पैरंट कंपनी पहले से शेयर मार्केट में लिस्टेड है, तो उसके कुछ शेयर अपने डीमैट अकाउंट में रखें। सिर्फ एक शेयर भी आपको शेयरहोल्डर कैटेगरी में आवेदन करने का हक देता है। इस कैटेगरी में अलॉटमेंट की संभावना रिटेल निवेशकों की तुलना में ज्यादा होती है। यह एक आसान लेकिन प्रभावी तरीका है, जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।
कंपनी IPO के लिए एक प्राइस बैंड (मूल्य सीमा) तय करती है। हमेशा न्यूनतम दाम पर बोली लगाने की बजाय प्राइस बैंड के ऊपरी दाम पर आवेदन करें। ऊंची बोली लगाने से आपकी एप्लीकेशन को प्राथमिकता मिलती है, जिससे शेयर अलॉटमेंट की संभावना बढ़ जाती है। यह छोटा सा कदम आपकी एप्लीकेशन की वैल्यू को मजबूत करता है।
सेबी के नियमों के अनुसार, 2 लाख रुपये तक का निवेश करने वाले रिटेल निवेशकों को समान माना जाता है। इसका मतलब है कि एक ही अकाउंट से ज्यादा राशि का आवेदन करने से कोई अतिरिक्त फायदा नहीं मिलता। इसके बजाय, परिवार के अलग-अलग सदस्यों के डीमैट अकाउंट से न्यूनतम लॉट साइज के लिए आवेदन करें। हर अकाउंट से किया गया आवेदन अलग माना जाता है, जिससे आपके शेयर मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
कई निवेशक IPO के आखिरी दिन बोली लगाते हैं, जो जोखिम भरा हो सकता है। तकनीकी दिक्कतें, सर्वर की समस्या या बैंकिंग प्रक्रिया में देरी के कारण आपका आवेदन फंस सकता है। इसलिए IPO के शुरू होने के पहले या दूसरे दिन ही जल्द से जल्द आवेदन करें। जल्दी आवेदन करने से आपकी एप्लीकेशन समय पर प्रोसेस होती है और रिजेक्शन का खतरा कम हो जाता है।
IPO में आवेदन करते समय ASBA (Application Supported by Blocked Amount) का इस्तेमाल करें। यह सुविधा बैंक और ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म दोनों पर उपलब्ध होती है। ASBA के जरिए आपके बैंक अकाउंट में राशि ब्लॉक होती है, जिससे आवेदन रिजेक्ट होने की संभावना कम हो जाती है। साथ ही, पैन नंबर, डीमैट और बैंक डिटेल्स सही-सही भरें। अपने बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस रखें, क्योंकि छोटी-छोटी गलतियां, जैसे गलत पैन नंबर या अपर्याप्त बैलेंस, आपकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट करवा सकती हैं।