Earthquake: भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, अब भूकंप से पहले मिलेगी फोन पर वार्निंग, ऐप में आएगा मैसेज

Earthquake - भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, अब भूकंप से पहले मिलेगी फोन पर वार्निंग, ऐप में आएगा मैसेज
| Updated on: 13-Mar-2023 05:58 PM IST
नई दिल्ली. भूकंप की वजह से अक्सर भारी जानमाल का नुकसान देखने को मिलता है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हमने तुर्की और सीरिया में देखा जहां 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई. अब भूकंप से होने वाले भारी नुकसान से बचने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम (Earthquake Early Warning System) विकसित किया है. आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित किया गया यह सिस्टम भूकंप आने से करीब 45 सेकंड पहले अलर्ट जारी करता है जिससे लोग सावधान हो जाते हैं. इस एडवांस सिस्टम को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की (IIT Roorkee) ने विकसित किया है जो सेस्मिक सेंसर तकनीक पर आधारित है. पिछले चार महीनों में तीन बार यह सिस्टम सफल वार्निंग दे चुका है.

गौरतलब है कि अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसे देश के वैज्ञानिकों ने भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से विकसित किया है. भूकंप के खतरे में रहने वाले उत्तराखंड के आम लोगों के लिए यह सिस्टम बहुत उपयोगी साबित हो सकता है जो समय पर वार्निंग देकर कीमती जान बचा सकता है. आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित किए गए इस सिस्टम में उत्तराखंड से लेकर नेपाल सीमा तक 170 सेंसर (170 Sensors) लगाए गए हैं. पिछले साल नवंबर से अब तक 3 बार यह सिस्टम भूकंप आने के करीब 45 सेकंड पहले सफल वार्निंग दे चुका है.

आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार के मुताबिक उत्तराखंड की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस सिस्टम को विकसित किया गया है. जहां पर भूकंप आने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है और जानमाल के नुकसान का खतरा भी रहता है. जिन जिन जगहों पर सेंसर लगे होते हैं वहां का डाटा एक सेंट्रल सर्वर में रिकॉर्ड होता रहता है जिस का आकलन करने के बाद तुरंत वार्निंग जारी की जाती है. सेस्मिक सेंसर से सेस्मिक डेटा (Seismic data) को रिकॉर्ड किया जाता है फिर उसके जरिए अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवलप होता है. डेटा सर्वर पर जाता है, एनालिसिस होता है और फिर वार्निंग दी जाती है. शुरुआती स्तर पर अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम को उत्तराखंड के लिए बनाया गया है जोकि एक खास ऐप से कनेक्टेड है. इस ऐप को उत्तराखंड प्रशासन ने आम लोगों के लिए बनाया है जिससे उन्हें आपदा से बचाया जा सके. ऐप से लोगों को अलर्ट जाता है जिसे लिखित में या फिर अनाउंसमेंट के जरिए प्राप्त किया जा सकता है.

आपको बता दें कि इस सिस्टम  ने 8 नवंबर 2022 को 5.8 मेग्नि्यूड का पहला केस डिटेक्ट किया था जोकि नेपाल का भूकंप था. देहरादून में 45 सेकेंड पहले वार्निंग इशू की गई थी. वहीं 12 नवंबर को नेपाल में 5.4 मेग्नि्यूड का दूसरा भूकंप था. साथ ही 24 जनवरी 2023 को भारत-नेपाल सीमा पर आए भूकंप का एलर्ट देहरादून में रह रहे लोगों को ऐप के जरिए 45 सेकेंड पहले वायस मैसेज और नोटिफिकेशन के जरिये दे दिया गया था. इस सेंसर सिस्टम का जिक्र गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी कर चुके हैं. ऐसी ही और भी कई संवेदनशील जगहों पर सिस्टम को इंस्टॉल करने की प्रक्रिया चल रही है.

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