बॉलीवुड: पंचतत्‍व में व‍िलीन ऋषि कपूर, बेटे रणबीर और पत्‍नी नीतू ने दी अंतिम व‍िदाई

बॉलीवुड - पंचतत्‍व में व‍िलीन ऋषि कपूर, बेटे रणबीर और पत्‍नी नीतू ने दी अंतिम व‍िदाई
| Updated on: 30-Apr-2020 06:00 PM IST
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) का अंतिम संस्‍कार चंदनवाड़ी श्‍मशान में हो चुका है। अपने पिता को अंतिम विदाई देते हुए बेटे रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) बेहद भावुक नजर आए। वहीं इस मौके पर उनकी पत्‍नी नीतू (Neetu Kapoor) और एक्‍ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) भी अपनी भावनाएं नहीं रोक सकींं। आज 30 अप्रैल को उनका निधन मुंबई के एच एन र‍िलायंस अस्‍पताल में हुआ था।

परिवार के सदस्‍य और कुछ अन्‍य बॉलीवुड सितारों की मौजूदगी में ऋषि कपूर का अंतिम संस्कार हुआ है। अब परिवार के सदस्य और दोस्त जैसे सैफ अली खान, करीना कपूर, अभिषेक बच्चन, रणधीर और राजीव कपूर, अयान मुखर्जी और अन्य लोग चंदनवाड़ी श्मशान घाट से निकल चुके हैं। मरीन लाइंस के चंदनवाड़ी श्मशान घाट पर ऋषि कपूर का अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान नीतू कपूर, रीमा जैन, मनोज जैन, अरमान जैन, आदर जैन, अनीषा जैन, राजीव कपूर, रणधीर कपूर, सैफ अली खान, करीना कपूर खान, बिमल पारिख, नताशा नंदन, अभिषेक बच्चन, डॉक्टर तरंग, आलिया भट्ट, अयान मुखर्जी, जय राम, रोहित धवन और राहुल रवैल को मौजूद रहने की इजाजत मिली थी।


बता दें कि बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) हमारे बीच नहीं रहे। मुंबई के HN रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में सुबह 8:45 बजे उनका निधन हो गया। 67 साल के एक्टर कैंसर से जूझ रहे थे। बुधवार रात को ऋषि कपूर को सांस लेने में तकलीफ आई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान अस्पताल में ऋषि की पत्नी नीतू सिंह, बेटे रणबीर, भाई रणधीर कपूर समेत परिवार के अन्य लोग मौजूद थे।


बॉबी, द बॉडी, प्रेम रोग, 102 नॉटऑउट, मुल्क समेत सैकड़ों ऐसी फिल्में थीं जिसमें ऋषि कपूर ने शानदार काम किया था। उनका अंतिम संस्कार मुंबई स्थित चंदनवाड़ी श्मशान में किया गया।

बता दें कि ऋषि कपूर ल्‍यूकेमिया नाम के कैंसर से जूझ रहे थे। ये ब्‍लड का कैंसर होता है।  यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप से बढ़ती है इसके बाद इनके आकार में भी परिवर्तन होता है। कई डॉक्टर्स का मानना है कि ये एक ऐसी बीमारी है जिसके बार-बार लौटने की संभावना बनी रहती है। कई बार बोन-मैरो ट्रांसप्लांट करके मरीजों की बचाने की कोशिश की जाती है। कीमोथैरिपी के बाद भी यह बीमारी आमतौर पर ठीक नहीं हो पाती। असल में इस बीमारी में ऐसा भी होता कि इसका इलाज भी शुरुआत में नहीं हो पाता। जब यह कैंसर बढ़ता है तब इसका इलाज शुरू हो पाता है।

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