देश: कोरोना संकट के बीच अब खर्च कम करने में जुटी मोदी सरकार, सभी मंत्रालयों को निर्देश
देश - कोरोना संकट के बीच अब खर्च कम करने में जुटी मोदी सरकार, सभी मंत्रालयों को निर्देश
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Updated on: 05-Sep-2020 06:38 AM IST
नई दिल्ली। कोविड-19 और राजस्व संकट के बीच अपने खर्च कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) के व्यय विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों को साफ-साफ संदेश दे दिया है कि मौजूदा आर्थिक हालात के मद्देनजर खर्चों में कटौती करनी होगी। व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने सभी मंत्रालयों, विभागों और पीएसयू कंपनियों (PSU Companies) से कहा है कि दीवाल कैलेंडर, डेस्कटॉप कैलेंडर, डायरी, फेस्टिवल ग्रीटिंग्स या इस तरह अन्य सामग्रियों की प्रिंटिंग नहीं करें। ये सभी सामग्रियां डिजिटल और ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाये।
कम किए जायेंगे कंसलटेंटयही नहीं स्थापना दिवस जैसे समारोहों के आयोजन को हतोत्साहित किया जाएगा। अगर समारोह का आयोजन करना जरूरी है तो कम खर्च में करने की कोशिश की जायेगी। इस तरह के समारोहों के लिए यात्रा, बैग्स या मोमेंटो देने की प्रथा को रोकने का प्रयास किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में कार्यरत कंसलटेंट पद की समीक्षा की जायेगी। 1 जुलाई 2020 के बाद सृजित पदों के लिए भर्तियां नहीं होंगीव्यय विभाग ने कहा है कि मंत्रालय और विभागों में कार्यरत कंसलटेंट के पदों की समीक्षा की जायेगी। कंसलटेंट की संख्या कम करने पर फोकस किया जायेगा। व्यय विभाग की मंजूरी के बिना मंत्रालय या विभाग नए पद सृजित नहीं करेंगे। बिना व्यय विभाग की अनुमति के 1 जुलाई 2020 के बाद मंत्रालयों और विभागों द्वारा सृजित पद जिसके लिए अभी तक नियुक्तियां नहीं हुई है उसके लिए भर्तियां नहीं होगी।गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 7 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। बजट में इसका अनुमान 3।5 फीसदी तक का लगाया गया था। लेकिन कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) की वजह से रेवेन्यू कलेक्शन (Revenue Collection) को झटका लगा है और आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं। बिक्रवर्क रेटिंग्स (Brickwork Ratings) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। इस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ने का असर रेवेन्यू कलेक्शन पर पड़ा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़ों से इस बारे में साफ पता चलता है।' इनकम टैक्स और जीएसटी रेवेन्यू में गिरावटकंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में देखें तो रेवेन्यू कलेक्शन को बड़ा झटका लगा है। इनकम टैक्स (Income Tax) के जरिए प्राप्त होने वाले रेवेन्यू में 30।5 फीसदी की कमी आई है। इसमें व्यक्तिगत इनकम टैक्स और कॉरपोरेट इनकम टैक्स शामिल है। जबकि, इस दौरान वस्तु एवं सेवा कर (GST) के जरिए प्राप्त होने वाले रेवेन्यू में 34 फीसदी की गिरावट है।दूसरी तरफ, आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम (Atmnirbhar Bharat Program) के तहत आम जनता पर किए गए खर्च में 13।1 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। एजेंसी का कहना है यही कारण है कि बजट में रखे गये लक्ष्य की तुलना में पहली तिमाही के दौरान राजकोषीय घाटे में करीब 83।2 फीसदी का अंतर है।
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