India v/s China Market: एशिया का सरताज बना भारत, चीन को दी पटखनी, अब बारी दुनिया की

India v/s China Market - एशिया का सरताज बना भारत, चीन को दी पटखनी, अब बारी दुनिया की
| Updated on: 23-Aug-2023 01:19 PM IST
India v/s China Market: अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब है. चीन की इकोनॉमी लगातार गिरती जा रही है. यूरोप, जर्मनी में मंदी की आहट है. पाकिस्तान और श्रीलंका का हाल बेहाल है. एक ओर जहां पूरी दुनिया में मंदी की आहट है. वहीं भारत एशिया में इकलौता ऐसा देश बन गया जहां की इकोनॉमी पॉजिटिव में दिख रही है. मजबूत इकोनॉमी के अनुमान और विदेशी निवेशकों के भरोसे के दम पर भारतीय शेयर बाजार गुलजार है.

आंकड़ों की बात करें तो भारतीय शेयर बाजार इकलौता ऐसा बाजार बन गया है. जिसने निवेशकों को सालाना 14 फीसदी का रिटर्न दिया है. इसी तेजी के साथ भारत का शेयर बाजार ऐसा मार्केट बन गया है जिसने चीन को भी पछाड़ दिया है. आंकड़ों की बात करें तो कोरोना के दौरान यानी मई 2021 में चीन का विदेशी निवेश चरम पर था. उसी समय भारत के बाजार में भी तेजी का दौर आया था. लेकिन कोरोना के बाद से चीन का मार्केट गिरता चला गया जबकि भारत ने तेज रफ्तार पकड़ ली.

क्यों चीन की हालत हुई खराब

दरअसल कोरोना से निपटने में चीन पूरी तरह सफल नहीं हो सका. इसका असर वहा के बाजार पर दिखना शुरु हो गया. निवेशकों के मन में नए निवेश को लेकर भय आने लगा. वहीं इसके उलट भारत में कोरोना के दौरान और उसके बाद विदेशी निवेश की भरमार होने लगी. भारत में कोरोना के दौरान भी मुकेश अंबानी की कंपनी में गूगल और फेसबुक जैसे जाइंट्स ने भारी भरकम निवेश किया. इसके उलट चीन से एक एक कर कंपनियां शिफ्ट होने लगी.

भारत में क्यों तेजी से बढ़ा निवेश

एपल जैसे बड़े खिलाड़ी का भारत में स्टोर खोलना और अपना प्रोडक्शन युनिट शुरु करना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में भी भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम रहेगा. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 से 2040 तक यानी अगले 20 साल में चीन और दूसरे डेवलप देशों में करीब 5 करोड़ लोग रिटायर हो जाएंगे. जबकि भारत में 4 करोड़ नया वर्कफोर्स सामने आएगा.

भारत में क्यों तेजी से बढ़ा निवेश

एपल जैसे बड़े खिलाड़ी का भारत में स्टोर खोलना और अपना प्रोडक्शन युनिट शुरु करना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में भी भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम रहेगा. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 से 2040 तक यानी अगले 20 साल में चीन और दूसरे डेवलप देशों में करीब 5 करोड़ लोग रिटायर हो जाएंगे. जबकि भारत में 4 करोड़ नया वर्कफोर्स सामने आएगा.

3 साल में भारत ने दिया सबसे ज्यादा रिटर्न

साल 2020 से भारत का शेयर बाजार इकलौता ऐसा शेयर बाजार बन गया है. जिसने सबसे ज्यादा 14 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस दौरान चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया के बाजारों में निगेटिव रिटर्न दिया है. वहीं आस्ट्रेलिया और ताइवान ने निवेशको को पॉजिटिव रिटर्न तो दिया है. लेकिन वो भारत के मुकाबले काफी कम है. यानी साल 2020 से एशिया में भारत निवेशकों के लिए पहली पसंद बना हुआ है.

क्यों मिल रहा भारत को फायदा

जैसे जैसे चीन से निवेशकों की उम्मीदें फेल होती जा रही है. वैसे वैसे निवेशकों का भरोसा भारत पर कायम होता जा रहा है. विदेशी निवेश के आंकडो़ं की बात करें तो भारत में इस साल अप्रैल से लेकर अबतक भर भर के विदेशी निवेश आ रहा है. अप्रैल के महीने में 5,711 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश भारत को मिला था जो अब बढ़कर 12 हजार करोड़ के पार जा चुका है. विदेशी निवेश के लगातार बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है कि भारत लगातार 3 साल से करीब करीब स्थिर रिटर्न दे रहा है. जबकि बाकी बाजारों में उलट पुलट की स्थिति देखी गई है.

भारत के इकोनॉमिक इंडीकेटर्स भी दे रहे गवाही

किसी भी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ में वहां के इकोनॉमिक इंडीकेटर्स का अहम रोल होता है. भारत के जुलाई के जीएसटी कलेक्शन की बात करें तो यह 1.65 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुकी है. वहीं जीडीपी की अनुमानित ग्रोथ भी 6.1 फीसदी पर है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल, इक्रा और दूसरे ब्रोकरेज फर्म ने भी भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ की उम्मीद जताई है. एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद की जा रही है कि साल 2028 तक भारत की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर के पार जा सकती है. इस दौरान भारत का ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी से 8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.

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