Economy of India: जापान को पछाड़ते हुए भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया है। अब बारी है जर्मनी की, जिसकी तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की कुर्सी आने वाले वर्षों में भारत के लिए अगला लक्ष्य बनती दिख रही है। ताजा आंकड़े और वैश्विक आर्थिक विश्लेषण यही संकेत दे रहे हैं कि भारत की विकास यात्रा अब रुकने वाली नहीं है।
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने हाल ही में नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की 10वीं बैठक के बाद यह बड़ा ऐलान किया कि भारत अब 4,000 अरब डॉलर (4 ट्रिलियन डॉलर) की अर्थव्यवस्था बन चुका है। उन्होंने कहा कि भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है और अब यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो चुका है।
सुब्रह्मण्यम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार भारत अब जापान से बड़ा है। उनका यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारत की आर्थिक प्रगति न केवल रफ्तार पकड़ रही है, बल्कि स्थायित्व के साथ आगे भी बढ़ रही है।
भारत की अगली मंज़िल अब स्पष्ट है — जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना। सुब्रह्मण्यम के मुताबिक अगर भारत अपनी योजनाओं और नीतिगत सोच पर कायम रहता है, तो अगले 30 से 36 महीनों यानी 2027-28 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था बन सकता है। ऐसे में जर्मनी को पीछे छोड़ना अब केवल संभावना नहीं, बल्कि एक मजबूत लक्ष्य बन गया है।
ग्लोबल अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती पर न केवल नीति आयोग बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी भरोसा जता रही हैं। IMF और वर्ल्ड बैंक दोनों का मानना है कि भारत की विकास दर 6% से ऊपर बनी रहेगी — जो कि विकसित और उभरती हुई सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है।
यह भरोसा दर्शाता है कि भारत के आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर, उपभोग क्षमता, युवा जनसंख्या और डिजिटल परिवर्तन की गति ने देश को आर्थिक रूप से बेहद आकर्षक बना दिया है।
जब उनसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर सवाल किया गया — जिसमें ट्रंप ने आशा जताई थी कि एप्पल जैसे ब्रांड भविष्य में अमेरिका में ही मैन्युफैक्चरिंग करें — तो सुब्रह्मण्यम ने कहा कि "शुल्क दरें कैसी होंगी यह तो अनिश्चित है, लेकिन जिस दिशा में चीजें जा रही हैं, भारत मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक सस्ती और बेहतर जगह बन रहा है।"
उनका यह बयान इस ओर भी इशारा करता है कि भारत न केवल सर्विस सेक्टर में बल्कि मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी ग्लोबल प्लेयर बनने की ओर अग्रसर है।
नीति आयोग के CEO ने यह भी जानकारी दी कि सरकारी संपत्तियों को बाजार में लाने का दूसरा चरण अगस्त में शुरू किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत सरकार आर्थिक सुधारों और निवेश को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सक्रिय है।