India-China Trade: चीन को भारत का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर, पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ी
India-China Trade - चीन को भारत का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर, पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ी
भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं, जैसा कि हालिया निर्यात आंकड़ों से स्पष्ट होता है। अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में, चीन भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बनकर उभरा है, जो दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच बढ़ते आर्थिक जुड़ाव को दर्शाता है। यह वृद्धि विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों और दूरसंचार उपकरणों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में। देखी गई है, जो चीन में औद्योगिक मांग में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देती है।
चीन को निर्यात में लगातार वृद्धि
डेटा के अनुसार, चीन को भारत का निर्यात अप्रैल में 11% बढ़ा, जो जुलाई में बढ़कर 28% और सितंबर में प्रभावशाली 33% हो गया। यह लगातार वृद्धि एक मजबूत और स्थिर व्यापारिक संबंध को दर्शाती है, जो वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के बावजूद अपनी गति बनाए रखने में सक्षम है। यह सात महीनों की लगातार वृद्धि दोनों देशों के बीच व्यापारिक विश्वास और बाजार की अनुकूलता का प्रमाण है और इस अवधि में चीन को निर्यात में हुई वृद्धि भारत के कुल निर्यात प्रदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक बिंदु रही है, खासकर ऐसे समय में जब अन्य बाजारों में चुनौतियां देखी जा रही थीं।पेट्रोलियम उत्पादों की रिकॉर्ड मांग
अप्रैल-सितंबर की अवधि में चीन को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात दोगुने से भी अधिक बढ़कर 1. 48 बिलियन डॉलर हो गया। यह आंकड़ा चीन में औद्योगिक ईंधन की अत्यधिक मांग को स्पष्ट रूप से दर्शाता है और पेट्रोलियम उत्पादों की यह बढ़ती मांग चीन के विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती और उसकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत पर उसकी बढ़ती निर्भरता को उजागर करती है। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है, क्योंकि यह अपने परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के लिए एक बड़े और बढ़ते बाजार तक पहुंच प्राप्त करता है। इस क्षेत्र में हुई यह रिकॉर्ड वृद्धि भारत के निर्यात बास्केट में पेट्रोलियम उत्पादों के महत्व को और बढ़ाती है।दूरसंचार उपकरण और समुद्री खाद्य में उछाल
पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा, दूरसंचार उपकरण भी एक तेजी से बढ़ने वाली श्रेणी रही। इनका निर्यात तीन गुना से अधिक बढ़कर 778. 23 मिलियन डॉलर हो गया, जो पहले 207. 26 मिलियन डॉलर था। यह उछाल भारत की तकनीकी क्षमताओं और चीन के बाजार में उसके उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है और इसी तरह, समुद्री खाने का निर्यात भी बढ़कर 548. 36 मिलियन डॉलर से 659. 27 मिलियन डॉलर हो गया, जो इस क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता और चीन में समुद्री खाद्य उत्पादों की बढ़ती उपभोक्ता मांग को दर्शाता है और इन क्षेत्रों में हुई वृद्धि भारत के निर्यात विविधीकरण प्रयासों की सफलता को भी रेखांकित करती है।कुल निर्यात में गिरावट के बावजूद चीन का प्रदर्शन
अक्टूबर में चीन को हुए अच्छे निर्यात भारत के कुल निर्यात प्रदर्शन से अलग थे। इसी महीने अमेरिका द्वारा 27 अगस्त से लगाए गए 50% टैक्स के कारण भारत का कुल निर्यात 11. 8% गिरकर 34. 38 बिलियन डॉलर रह गया। यह विरोधाभासी स्थिति दर्शाती है कि जहां कुछ प्रमुख बाजारों में चुनौतियां थीं, वहीं चीन का बाजार भारत के निर्यातकों के लिए एक मजबूत सहारा बना रहा। यह भारत के लिए अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता लाने और एक बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से बचने के महत्व को रेखांकित करता है। चीन के साथ व्यापारिक संबंध इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभाते हैं।रिकॉर्ड व्यापार घाटा और सोने का आयात
हालांकि निर्यात में कुछ क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई, सोने के ज्यादा आयात की वजह से भारत का व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 41. 68 बिलियन डॉलर हो गया। यह आंकड़ा देश के समग्र व्यापार संतुलन के लिए एक चिंता का विषय है। सोने का आयात, जो अक्सर सांस्कृतिक और निवेश संबंधी कारणों से प्रेरित होता है, व्यापार घाटे को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक रहा है और इस रिकॉर्ड घाटे को कम करने के लिए निर्यात को और बढ़ावा देने और आयात को युक्तिसंगत बनाने के लिए रणनीतिक उपायों की आवश्यकता होगी, खासकर गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर ध्यान केंद्रित करना।सकारात्मक भविष्य की संभावनाएं
एक अधिकारी ने बताया कि लगातार सात महीनों तक चीन को भारत का निर्यात बढ़ना दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार संबंधों का संकेत देता है और उन्होंने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2026 के बाकी समय के लिए हालात सकारात्मक दिख रहे हैं। यह आशावादी दृष्टिकोण भारत के निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन का काम करेगा और उन्हें चीन के बाजार में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए प्रेरित करेगा। यह निरंतर वृद्धि और सकारात्मक दृष्टिकोण भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा हो सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार परिदृश्य में इसकी स्थिति और मजबूत होगी।