Indo-China: सीमा पर सेनाओं के बीच तकरार से बचने के लिए जानें किस रणनीति पर विचार कर रहे हैं भारत-चीन?

Indo-China - सीमा पर सेनाओं के बीच तकरार से बचने के लिए जानें किस रणनीति पर विचार कर रहे हैं भारत-चीन?
| Updated on: 03-Aug-2020 10:34 AM IST
Indo-China: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर भविष्य में किसी तरह का टकराव न हो, इसके लिए दोनों ओर से कवायद तेज हो गई है। एक ओर जहां दोनों देशों के सैन्य कमांडर पूर्वी लद्दाख में 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना और चीनी सेना को पीछे हटाने को लेकर बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दोनों देशों के राजनयिक भी 15 जून की गलवान घाटी हिंसक झड़प की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पैट्रोलिंग प्रोटोकॉल लगाने के विकल्‍प पर विचार कर रहे हैं।

साउथ ब्लॉक के अधिकारी के मुताबिक, चीनी सेना सड़क बना रही है, फाइबर ऑप्टिक केबल बिछा रही है और  एलएसी के पास लद्दाख में  संघर्ष बिंदू तक सोलर पैनल लगा रही है और भारतीय सेना भी उसी के नक्शे कदम पर चलकर इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम कर रही है। इसके बाद ही झड़प में तेजी देखने को मिली।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि दोनों देशों के बीच पहला कदम सीमा पर तैनात सैनिकों को पीछे करना है, उसके बाद 1993-1996 के द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार दोनों पक्षों द्वारा रखे गए कम से कम सैनिकों के साथ डी-एस्केलेशन और फिर कुछ वर्किंग मेकैनिजम पर काम करना ताकी दोनों देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग के दौरान न टकराए।

हालांकि, सीमा पर से दोनों ओर की सेनाओं को पीछे करने के शॉर्ट टर्म सॉल्यूशन पर बातचीत जारी है। पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 (गोगरा) और पैंगॉन्ग त्सो फिंगर्स पर सेनाओं के बीच संघर्ष को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों के राजनयिक एक दीर्घकालिक समाधान की तलाश कर रहे हैं, जो कि दोनों देशों के सैनिकों को अलग रखेंगे और टकराव की स्थिति से बचाएंगे। 

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत और चीन के बीच टकराव का दीर्घकालिक समाधान केवल तभी मिल सकता है जब भारत और चीन एलएसी के साथ सैनिकों की तैनाती के संकेत देने वाले मानचित्रों का आदान-प्रदान करें और फिर पेट्रोलिंग प्रोटोकॉल की शुरुआत करें। आज भारत और चीन दोनों के साथ कथित एलएसी तक सीमावर्ती बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं, इससे न सिर्फ पेट्रोलिंग की आक्रमकता बढ़ी है, बल्कि दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष भी बढ़ा है। 

पूर्वी लद्दाख में एलएएसी के पास कई सप्ताह तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव की वजह से ही 15 जून को गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। इससे पहले 2002 में पश्चिमी क्षेत्र के नक्शे का आदान-प्रदान करने की कोशिश असफल रही थी, क्योंकि चीन अंतिम क्षण में इससे पीछे हट गया था। 

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।