India-Pakistan News: भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव एक बार फिर हवाई संपर्क पर गहराते प्रभावों के रूप में सामने आया है। भारत सरकार ने पाकिस्तानी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को 23 जून 2025 तक बंद कर दिया है। इससे पहले सरकार ने 23 मई 2025 तक के लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया था। यह निर्णय सुरक्षा कारणों के मद्देनजर लिया गया है, जिसका मकसद आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर संभावित खतरों को टालना है।
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-प्रेरित आतंकी संगठनों पर डाली गई। इसके जवाब में भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की और बाद में पाकिस्तानी सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी निशाना बनाया गया।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि इस अवधि में कोई भी पाकिस्तानी यात्री या सैन्य विमान भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकेगा। यह प्रतिबंध न केवल सीधा संकेत है भारत की सुरक्षा नीति के प्रति उसकी गंभीरता का, बल्कि यह पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव बनाने की रणनीति का भी हिस्सा है।
पाकिस्तान ने भी जवाबी कदम उठाते हुए भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को 24 जून 2025, सुबह 4:59 बजे तक बंद कर दिया है। पाकिस्तान एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा जारी NOTAM में स्पष्ट किया गया है कि भारत में पंजीकृत, स्वामित्व वाले, संचालित या पट्टे पर लिए गए किसी भी विमान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने की अनुमति नहीं होगी। इस प्रतिबंध में भारतीय सैन्य विमान भी शामिल हैं।
तनाव के बीच पाकिस्तान की एक मानवता-विरोधी हरकत भी सामने आई है। बुधवार को इंडिगो एयरलाइन का एक विमान, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के सांसदों सहित 220 यात्री सवार थे, ओलावृष्टि की चपेट में आ गया। पायलट ने लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हवाई क्षेत्र के संक्षिप्त उपयोग की अनुमति मांगी, पर पाकिस्तान ने इसे अस्वीकार कर दिया। इससे विमान का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। यह घटना न केवल अंतरराष्ट्रीय एविएशन प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि यह संकट के समय सहयोग से इंकार करने की निंदनीय मिसाल भी है।
भारत और पाकिस्तान के बीच एयरस्पेस बंदी जैसे कदम सामान्य नागरिकों और वाणिज्यिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहे हैं। दोनों देशों को यह समझने की ज़रूरत है कि संवाद और कूटनीति ही स्थायी समाधान दे सकती है। जब तक इस प्रकार की कड़ी कार्रवाइयों का स्थान रचनात्मक वार्ता नहीं लेती, तब तक उपमहाद्वीप में स्थिरता एक सपना ही बनी रहेगी।
यह हवाई टकराव महज हवाई रूट का बंद होना नहीं है, यह दो देशों के बीच बढ़ते अविश्वास, जवाबी कार्रवाइयों और कूटनीतिक सख्ती का प्रतिबिंब है। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर इस बात पर होगी कि क्या यह तनातनी सुलह की राह पकड़ती है या टकराव की दिशा में और बढ़ती है।