India-Nigeria Relations: अमेरिका के बमबारी के बीच भारत-नाइजीरिया संबंध: जानें क्या है खास और क्यों महत्वपूर्ण है यह देश

India-Nigeria Relations - अमेरिका के बमबारी के बीच भारत-नाइजीरिया संबंध: जानें क्या है खास और क्यों महत्वपूर्ण है यह देश
| Updated on: 27-Dec-2025 06:30 AM IST
गुरुवार को क्रिसमस की रात, अमेरिका ने नाइजीरिया में आतंकी संगठन ISIS के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और नाइजीरिया के बीच 65 साल पुराने गहरे द्विपक्षीय संबंध हैं। भारत के लिए नाइजीरिया न केवल एक व्यापारिक साझेदार है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। इस एयरस्ट्राइक के बाद, दोनों देशों के बीच के संबंधों और नाइजीरिया। की भारत के लिए अहमियत को समझना और भी प्रासंगिक हो जाता है।

नाइजीरिया में अमेरिकी एयरस्ट्राइक और ट्रंप का बयान

अमेरिका ने गुरुवार रात नाइजीरिया में आतंकी संगठन ISIS के ठिकानों को निशाना बनाते हुए एयरस्ट्राइक की और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई का दावा करते हुए कहा कि ISIS नाइजीरिया में ईसाइयों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर रहा था। ट्रंप ने ISIS के आतंकियों को 'आतंकी कचरा' करार दिया और स्पष्ट किया कि अमेरिका कट्टर इस्लामी आतंकवाद को पनपने नहीं देगा। उन्होंने अपनी पोस्ट में मारे गए आतंकियों को 'क्रिसमस की। बधाई' भी दी, जो उनके कड़े रुख को दर्शाता है। यह एयरस्ट्राइक ऐसे समय में हुई है जब नाइजीरिया आंतरिक रूप से भी सांप्रदायिक तनाव और गरीबी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

भारत और नाइजीरिया के ऐतिहासिक संबंध

**भारत नाइजीरिया से क्या आयात करता है? भारत और नाइजीरिया के द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत 1960 में हुई थी, जब नाइजीरिया को आजादी मिली थी। यह दोस्ती 65 साल पुरानी है और भारत ने अपनी आजादी के बाद से ही अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता का पुरजोर समर्थन किया है और इसी दौर में दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की नींव पड़ी। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1962 में नाइजीरिया का दौरा किया था, जिसने दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती प्रदान की। ये संबंध केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि इनमें सैन्य और सांस्कृतिक सहयोग भी शामिल है, जो समय के साथ और प्रगाढ़ हुआ है। ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत नाइजीरिया से कई महत्वपूर्ण वस्तुएं आयात करता है। इनमें सबसे प्रमुख खनिज ईंधन और तेल हैं, जो भारत की। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, भारत नाइजीरिया से ऑयल सीड, उर्वरक, एल्युमिनियम, कॉफी, मोती, बेशकीमती रत्न, रबड़,। जिंक, आयरन, मशीनरी, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर और कई तरह के बेस मेटल भी मंगाता है। ये आयात भारत के विभिन्न उद्योगों और कृषि क्षेत्र के लिए। महत्वपूर्ण कच्चे माल और ऊर्जा स्रोतों की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।

भारत नाइजीरिया को क्या निर्यात करता है?

भारत भी नाइजीरिया को कई तरह के उत्पाद निर्यात करता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन बना रहता है। भारत मुख्य रूप से फार्मा प्रोडक्ट, वाहनों के पार्ट, इलेक्ट्रिक मशीनरी और प्लास्टिक सहित कई अन्य वस्तुएं नाइजीरिया को भेजता है और भारतीय फार्मास्यूटिकल्स नाइजीरिया के स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जबकि वाहन के पुर्जे और इलेक्ट्रिक मशीनरी नाइजीरिया के औद्योगिक विकास में सहायक होते हैं। यह व्यापारिक आदान-प्रदान दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करता है और रोजगार के अवसर पैदा करता है।

नाइजीरिया में भारतीय निवेश और सैन्य सहयोग

भारत ने नाइजीरिया के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 200 से अधिक भारतीय कंपनियां नाइजीरिया में विनिर्माण, दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं। यह निवेश नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है। इसके अतिरिक्त, भारत ने नाइजीरिया के सैन्य प्रशिक्षण में भी सहयोग किया है। भारत ने नाइजीरिया के कडुमा में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और पोर्ट हरकोर्ट में नौसेना युद्ध कॉलेज की स्थापना की, जिससे नाइजीरिया के सैन्य बलों को आधुनिक प्रशिक्षण प्राप्त करने में मदद मिली। यह सहयोग दोनों देशों के बीच गहरे विश्वास और रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।

भारत के लिए नाइजीरिया का रणनीतिक महत्व

नाइजीरिया भारत के लिए कई मायनों में खास है। यह देश तेल और गैस के विशाल भंडार के लिए जाना जाता है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाइजीरिया इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) और तेल उत्पादक देशों के संगठन (OPEC) का एक अहम सदस्य भी है और ये दोनों ही संगठन भारत की आर्थिक नीति और कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और मध्य-पूर्व के साथ संबंधों के लिए इन संगठनों पर निर्भर करता है। पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी की नाइजीरिया यात्रा, जो 18 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी (इससे पहले मनमोहन सिंह 2007 में गए थे), नाइजीरिया के प्रति भारत की बढ़ती रणनीतिक रुचि को दर्शाती है।

नाइजीरिया की जनसांख्यिकी और आंतरिक चुनौतियां

24 करोड़ की आबादी वाला नाइजीरिया दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाली जनसंख्या वाले देशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक नाइजीरिया की आबादी 40 करोड़ का आंकड़ा छू लेगी। यह देश दो मुख्य हिस्सों में बंटा हुआ है: उत्तरी हिस्सा जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। और गरीबी अधिक है, और दक्षिणी-पूर्वी हिस्सा जो ईसाई आबादी वाला और अपेक्षाकृत अधिक संपन्न है। इन दोनों समुदायों के बीच कई बार विवाद और हिंसा के मामले भी देखे जा चुके हैं, जो देश की आंतरिक स्थिरता के लिए एक चुनौती है। इन आंतरिक चुनौतियों के बावजूद, नाइजीरिया अफ्रीका में भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है।

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