ICAE Summit: खपत से ज्यादा भारत में खाद्यान्न की पैदावार, दुनिया का पेट भरने की कर रहे तैयारी- पीएम मोदी

ICAE Summit - खपत से ज्यादा भारत में खाद्यान्न की पैदावार, दुनिया का पेट भरने की कर रहे तैयारी- पीएम मोदी
| Updated on: 04-Aug-2024 06:00 AM IST
ICAE Summit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत एक खाद्य अधिशेष (खपत से ज्यादा खाद्यान्न की पैदावार) देश बन गया है। अब भारत दुनिया का पेट भरने और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है। खाद्य अधिशेष से मतलब देश में उपभोग से ज्यादा खाद्यान्न उपलब्ध होने से है। भारत में 65 वर्षों के बाद आयोजित किए जा रहे कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश का आम बजट 2024-25 टिकाऊ खेती पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘भारत अब एक खाद्य अधिशेष देश है। यह दुनिया में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा, भारत खाद्यान्न, फल, सब्जी, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है।’

भारत ने बदली अपनी तस्वीर 

मोदी ने कहा कि पिछली बार जब भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी, तब उसे आजादी मिले ज्यादा समय नहीं हुआ था और वह दौर देश में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण दौर था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एक दौर था, जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का सबब थी। अब, भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है।’’ कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के 70 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 'इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिस्ट्स' की ओर से यह त्रिवार्षिक सम्मेलन दो से सात अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। 

फसलों की 1,900 नयी प्रजातियां प्रदान की

इस वर्ष के सम्मेलन का विषय ‘‘सतत कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर’’ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील फसलों की 1,900 नयी प्रजातियां प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। मोदी ने कहा कि देश पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। यह सम्मेलन वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेगा और कृषि अनुसंधान एवं नीति में देश की प्रगति को रेखांकित करेगा। इसका मकसद युवा शोधकर्ताओं और अग्रणी पेशेवरों को वैश्विक समकक्षों के साथ अपने काम और नेटवर्क को पेश करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। 

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