UNSC Permanent Seat: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने सुरक्षा परिषद (UNSC) में बड़े सुधारों की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए भारत और जापान जैसे देशों को UNSC की स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत लंबे समय से इस मांग को उठा रहा है और हाल ही में BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक में भी इस पर व्यापक समर्थन देखने को मिला।
प्रधानमंत्री तोबगे ने अपने संबोधन में कहा कि UNSC को केवल एक औपचारिक संस्था बनकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी समाधान करने वाली शक्तिशाली संस्था बनना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भूटान संयुक्त राष्ट्र के सुधारों का पूर्ण समर्थन करता है, जिसमें सुरक्षा परिषद का विस्तार भी शामिल है। तोबगे ने विशेष रूप से भारत और जापान जैसे सक्षम और नेतृत्वकारी देशों को स्थायी सदस्यता देने की वकालत की, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
भूटान का यह बयान उस समय सामने आया है जब BRICS देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने भी UNSC में भारत और ब्राजील की बड़ी भूमिका का समर्थन किया है। हाल ही में हुई BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन और रूस ने भी इस बात को दोहराया कि वे भारत और ब्राजील की UNSC में मजबूत भूमिका की आकांक्षा का सम्मान करते हैं। यह समर्थन भारत की दावेदारी को और मजबूती प्रदान करता है।
भारत कई दशकों से UNSC में सुधार की मांग करता रहा है। खास तौर पर, एशियाई और अफ्रीकी देशों की इस वैश्विक मंच पर अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर भारत ने बार-बार जोर दिया है। हालांकि, चीन के लगातार विरोध के कारण भारत की स्थायी सदस्यता का रास्ता अब तक अवरुद्ध रहा है। UNSC, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिसमें 5 स्थायी सदस्य (P5: अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस) और 10 अस्थायी सदस्य शामिल हैं। स्थायी सदस्यों को वीटो शक्ति प्राप्त है, जिसके जरिए वे किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं। अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होता है।
P5 देशों में से चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों—अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस—के साथ भारत के मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। फ्रांस ने पहले ही भारत की स्थायी सदस्यता का खुलकर समर्थन किया है। अगर चीन अपने वीटो पावर का उपयोग न करे, तो भारत के लिए UNSC में स्थायी सीट हासिल करने का रास्ता आसान हो सकता है। UNSC में किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए 15 में से 9 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है, लेकिन किसी एक स्थायी सदस्य के वीटो से वह प्रस्ताव खारिज हो सकता है।
भूटान के प्रधानमंत्री का यह बयान वैश्विक मंच पर UNSC के ढांचे को और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत जैसे देश, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था, शांति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, को UNSC में स्थायी स्थान मिलने से न केवल संस्था की प्रासंगिकता बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी अधिक प्रभावी ढंग से काम किया जा सकेगा।