टोक्यो ओलंपिक्स: ओलंपिक्स इतिहास में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मिली अपनी सबसे बुरी हार, 1-7 से हारी

टोक्यो ओलंपिक्स - ओलंपिक्स इतिहास में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मिली अपनी सबसे बुरी हार, 1-7 से हारी
| Updated on: 25-Jul-2021 05:59 PM IST
टोक्यो: न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत से आगाज करने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम को टोक्यो ओलंपिक खेलों के ग्रुप ए के दूसरे मैच में रविवार को मजबूत ऑस्ट्रेलिया से 1-7 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पेनल्टी कॉर्नर में सुधार के संकेत दिए थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके ड्रैग फ्लिकर पंगु नजर आये। ऑस्ट्रेलिया ने पहले हॉफ में ही 4-0 की बढ़त हासिल करके अपनी जीत सुनिश्चित कर ली थी। भारतीयों ने दूसरे हॉफ के शुरू में कुछ दम दिखाया लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ शुरू में बड़े अंतर से पिछड़ने के बाद वापसी करना आसान नहीं था। भारतीय खिलाड़ियों ने हडबड़ाहट भी दिखाई जिसका फायदा ऑस्ट्रेलिया को ही मिला।   

ऑस्ट्रेलिया की तरफ से डेनियल बील (10वें), जेरेमी हेवार्ड (21वें), फ्लिन ओगलीवी (23वें), जोशुआ बेल्ट्ज (26वें), ब्लैक गोवर्स (40वें और 42वें) और टिम ब्रांड (51वें मिनट) ने गोल किए। भारत के लिए दिलप्रीत सिंह ने 34वें मिनट में एकमात्र गोल किया। भारत अपना अगला मैच 27 जुलाई को स्पेन के खिलाफ खेलेगा। ऑस्ट्रेलिया ने शुरू से आक्रामक रवैया अपनाया। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहले हॉफ में ही उसने 11 शॉट गोल पर मारे जिसमें उसने चार को गोल में बदला। भारत इस बीच तीन शॉट ही आस्ट्रेलियाई गोल पर मार पाया लेकिन उसे उसमें कोई सफलता नहीं मिली। इस बीच यदि गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने दो खूबसूरत बचाव नहीं किए होते तो भारत की स्थिति और बदतर होती।

बढ़त बनाने का पहला मौका भारत को मिला था लेकिन पेनल्टी कॉर्नर पर हरमनप्रीत सिंह का शॉट थोडा ऊंचा रहा और इस तरह से टीम के हाथ से स्वर्णिम अवसर चला गया। इसके बाद भी टीम ने पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए लेकिन किसी भी समय उन्हें गोल में बदलने की वैसी झलक नहीं दिखी जो न्यूजीलैंड के खिलाफ दिखी थी। उधर ऑस्ट्रेलिया ने जवाबी हमले में पेनल्टी कॉर्नर हासिल किया और बील ने जैक वेटन के करारे शॉट को बड़ी चालाकी से गोल में पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया पहले क्वार्टर के बाद 1-0 से आगे था। 

भारत के पास वापसी का मौका था लेकिन रूपिंदरपाल सिंह पेनल्टी लेते समय लय में नहीं दिखे जबकि ललित उपाध्याय एक अवसर पर अकेले आस्ट्रेलियाई रक्षापंक्ति में सेंध नहीं लगा सके। इस दौरान भारतीय स्ट्राइकरों के बीच आपसी तालमेल का अभाव भी देखने को मिला। भारतीय टीम इसके बाद बिखरी हुई सी नजर आई तथा मध्यपंक्ति और अग्रिम पंक्ति में तालमेल कतई नहीं दिखा। रक्षापंक्ति में सेंध लगाना ऑस्ट्रेलिया के लिएआसान रहा और उसने इसका फायदा उठाकर छह मिनट के अंदर तीन गोल कर दिए।

ऑस्ट्रेलिया को 21वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला जिस पर हेवार्ड का शॉट इतना तीखा था कि श्रीजेश सहित भारतीय खिलाड़ियों को गेंद बोर्ड पर टकराने के बाद ही दिखी। इसके दो मिनट बाद ओगलीवी को रोकने के लिए भारतीय रक्षापंक्ति में कोई खिलाड़ी नहीं था। खेल के 26वें मिनट में बेल्ट्ज ने अपने बैकहैंड शॉट का अच्छा नजारा पेश किया। इस बार भी भारतीय रक्षक बगलें झांकते हुए ही नजर आये। बायें छोर से जब टिम ब्रांड गेंद को आगे बढ़ा रहे थे तो उन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। भारत पहले हाफ के बाद शुरू में थोड़ा आक्रामक दिखा लेकिन इसके बाद ऑस्ट्रेलियाने फिर से उसे अपने इशारों पर नचाया। भारत ने शुरू में पेनल्टी कॉर्नर हासिल किया लेकिन रूपिंदर फिर से चूक गए।

इसके तुरंत बाद दिलप्रीत को रूपिंदर से गेंद मिली जिस पर वह आस्ट्रेलियाई गोलकीपर को छकाने में कामयाब रहे। ऑस्ट्रेलिया को 40वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिसे गोवर्स ने आसानी से गोल में बदला। इसके दो मिनट बाद गोवर्स ने दूसरे पेनल्टी कॉर्नर पर करारा शॉट जमाया जो गोली की तरह श्रीजेश के बगल से निकल गया था। ऑस्ट्रेलिया 6-1 से आगे हो गया जो हॉकी मैच का नहीं टेनिस मैच का स्कोर लग रहा था।ऑस्ट्रेलिया की गोल की भूख इससे भी कम नहीं हुई। चौथे क्वार्टर में आते ही वह आक्रमण पर उतारु हो गया। ऐसे में ब्रांड ने 51वें मिनट में गोल करके जले पर नमक छिड़कने का काम ही किया। श्रीजेश अपनी लाइन पर नहीं थे और बाकी खिलाड़ी महज दर्शक बने हुए थे।

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